जीडीआर मैनिपुलेशन केस में सेबी हुआ सख्त, अरुण पंचारिया पर 26 करोड़ की पेनाल्टी
- 15 दिन में भुगतान नहीं करने पर हो सकती है गिरफ्तारी
नई दिल्ली, 28 नवंबर (हि.स.)। मार्केट कंट्रोलर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (जीडीआर) जारी करने में हेरा-फेरी के एक मामले में अरुण पंचारिया को 26.25 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस भेजा है। सेबी ने अपने नोटिस में अरुण पंचारिया को 15 दिन के अंदर भुगतान करने का निर्देश देते हुए भुगतान नहीं होने पर गिरफ्तारी और चल अचल संपत्ति को कुर्क करने की चेतावनी भी दी है।
इस साल जुलाई के महीने में ही सेबी ने हीरन ऑर्गोकेम के ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी करने में हुई हेरा-फेरी के लिए पंचारिया पर 25 करोड़ रुपये और मुकेश चौरड़िया पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन अरुण पंचारिया इस जुर्माना राशि को चुकाने में विफल रहे। इसके बाद अब सेबी ने अरुण पंचारिया को 15 दिन के अंदर 26.25 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हीरन ऑर्गोकेम ने मई 2010 में एक करोड़ डॉलर के 15.38 लाख ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी किए, जिसकी कीमत कंपनी के 4.61 करोड़ शेयरों से तय की गई थी। मतलब मई 2010 में 4.61 करोड़ अंडरलाइंग इक्विटी शेयर के बदले एक करोड़ डॉलर के 15.38 लाख ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी किए गए। इस मामले में हेरा-फेरी का आरोप लगने के बाद सेबी ने इसकी जांच की। जांच में पता चला कि अरुण पंचारिया ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी होने के हर चरण में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे।
जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि इस मामले में कर्ज लेकर फर्जी तरीके से ग्लोबल डिपॉजिट रिसीट हासिल किया गया। इसके बाद कर्ज को चुकाए बिना ही ग्लोबल डिपॉजिट रिसीट को शेयर में बदल कर इसे बेच दिया गया। इस पूरे मामले में मुकेश चौरड़िया भी एक पक्ष बने हुए थे। इसलिए उन पर भी सेबी ने 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। सेबी का आरोप है कि अरुण पंचारिया और मुकेश चौरड़िया ने प्रोहिबिशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज रूल्स (पीएफयूटीपी) में दिए गए प्रावधानों का उल्लंघन किया।
हिन्दुस्थान समाचार/योगिता/सुनीत