आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिम्मेदारी से उपयोग करना जरूरी: कैग
- कहा, एआई को लेकर निष्पक्षता तथा निजता से संबंधित चिंताएं भी वाजिब
नई दिल्ली/गुवाहाटी, 13 मार्च (हि.स.)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का जिम्मेदारी से उपयोग करना जरूरी है। इस उभरती प्रौद्योगिकी में जहां 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में 15,700 अरब डॉलर का योगदान देने की क्षमता है। दूसरी ओर यह निष्पक्षता तथा निजता से संबंधित चिंताएं भी पैदा करती है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने जी-20 देशों के सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों की गुवाहाटी में आयोजित बैठक के दौरान यह बात कही। राष्ट्रीय लेखा परीक्षक ने सोमवार को ‘सुप्रीम ऑडिट इंस्टीट्यूशंस-20 के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि एआई का जिम्मेदारी से उपयोग करना जरूरी है। उन्होंने अपने संबोधन में भविष्य की वृद्धि और समुद्री अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
मुर्मू ने कहा कि आज हम उस स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां एआई 2030 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 15,700 अरब डॉलर तक का योगदान दे सकती है। उन्होंने कहा कि एआई सामाजिक-आर्थिक वृद्धि लाने में सक्षम है और इसका उपयोग देश एवं नागरिकों के लाभ के लिए किया जा सकता है। भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत समूह के सदस्य देशों के सर्वोच्च लेखा संस्थानों (एसएआई) का समूह एसएआई-20 के अध्यक्ष भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) हैं।
असम के गुवाहाटी में आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, मिस्र, इंडोनेशिया, ओमान, दक्षिण कोरिया, रूस, सऊदी अरब, तुर्किये तथा संयुक्त अरब अमीरात के एसएआई और विश्व बैंक के दो प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं। एसएआई-20 ने नए दौर की चिंताओं और अवसरों से संबंधित दो विषयों समुद्रों एवं महासागरों पर आधारित अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) एवं जिम्मेदार कृत्रिम मेधा (एआई) का चयन किया है।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश/सुनीत