सरकार का राजकोषीय घाटा पहली तिमाही में 25.3 फीसदी रहाः सीजीए
नई दिल्ली, 31 जुलाई (हि.स.)। भारत सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 4,51,370 करोड़ रुपये रहा। यह समूचे वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 25.3 फीसदी है। वित्त मंत्रालय ने जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी है।
वित्त मंत्रालय के लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में बताया कि 30 जून के अंत में राजकोषीय घाटा वास्तविक संदर्भ में 4,51,370 करोड़ रुपये रहा। यह समूचे वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 25.3 फीसदी है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान को 21.2 फीसदी रहा था। सरकारी राजस्व एवं व्यय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
सीजीए के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में केंद्र का शुद्ध कर राजस्व 4,33,620 करोड़ रुपये रहा है, जो बजट अनुमान का 18.6 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में शुद्ध कर संग्रह 26.1 फीसदी था। अप्रैल-जून तिमाही में कुल व्यय 10.5 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट अनुमान का 23.3 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 24 फीसदी रहा था।
आंकड़ों के मुताबिक केंद्र के कुल व्यय में से 7.72 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते से हुआ, जबकि 2.78 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खाते से गए हैं। सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 6.4 फीसदी रहा था।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर/आकाश