कोयला और लिग्नाइट की खदानें खोलने के लिए मंजूरी प्रक्रिया में बदलाव
-केंद्र ने कंपनी बोर्ड को अधिकार देकर कोयला खदानों की मंजूरी की प्रक्रिया को बनाया आसान
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स)। केंद्र सरकार ने कोयला और लिग्नाइट खदानों को खोलने से संबंधित अनुमोदन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए नियमों को संशोधित कर दिया है। सरकार ने कोयला खनन संचालन शुरू करना और आसान बनाने के लिए आधिकारिक तौर पर कोलियरी कंट्रोल (संशोधन) नियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है।
कोयला मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी बयान में बताया कि अब सरकार ने इस प्रक्रिया में दोहराव कम करने, कोयला उत्पादन बढ़ाने और अनुमोदन प्रक्रिया सुगम बनाने के लिए नियम-9 को संशोधित कर दिया है। अब खदानों या उनकी परत को खोलने की मंजूरी संबंधित कोयला कंपनी के निदेशक मंडल से ही ली जा सकती है।
मंत्रालय के मुताबिक इन संशोधनों से प्रक्रियात्मक दोहराव हटाकर संचालन को तेज करने की सुविधा मिलेगी, जबकि नियामकीय निगरानी जारी रहेगी। मंत्रालय ने कहा, “हालांकि सुरक्षा के तौर पर यह प्रावधान रखा गया है कि संबंधित खदान/परत को खोलने के लिए निदेशक मंडल केवल तभी मंजूरी देगा जब केंद्रीय/राज्य सरकार और अन्य वैधानिक निकायों की आवश्यक मंजूरी प्राप्त हो।”
कोयला मंत्रालय ने कहा कि इस बदलाव से खदान संचालन की समय-सीमा में करीब दो महीने तक की कटौती की उम्मीद है। नियमों में यह बदलाव संचालन संबंधी निर्णयों को कंपनी निदेशक मंडल तक स्थानांतरित करता है, जबकि नियामकीय निगरानी और वैधानिक सुरक्षा बनाए रखता है। मंत्रालय ने कहा कि इस संशोधन से दक्षता बढ़ाने, कोयला उत्पादन में तेजी लाने और कोयला नियामकीय ढांचे में विश्वास मजबूत होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि कोलियरी नियंत्रण नियम, 2004 के नियम-9 के तहत खदान मालिकों को किसी भी खदान या उसकी परत को खोलने से पहले कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) की मंजूरी लेनी होती थी। यदि कोई खदान 180 दिन या उससे अधिक समय के लिए बंद रहती थी तो दोबारा संचालन शुरू करने के लिए भी यह मंजूरी होती थी।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर