सरकार कुशल और पारदर्शी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए प्रतिबद्ध: खाद्य मंत्रालय
नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार के कई अहम कदम उठाए हैं। देशभर में सभी उचित मूल्य की दुकानों द्वारा 5.33 लाख ई-पीओएस उपकरणों के जरिए खाद्यान्न का वितरण हो रहा है। इनमें डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और प्रभावी वितरण तंत्र पर ध्यान दिया गया है। इन प्रयासों से वितरण हेर-फेर में काफी कमी आई है और लाभार्थी बढ़ाने में मदद मिली है।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने सभी 20.4 करोड़ घरेलू राशन कार्डों की संपूर्ण वितरण प्रक्रिया को कम्प्यूटरीकृत कर दिया है, जिससे 80.6 करोड़ लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं। इन राशन कार्डों का डिजिटलीकरण किया गया है, जिसमें 99.8 फीसदी राशन कार्डों और 98.7 फीसदी व्यक्तिगत लाभार्थियों के राशन कार्ड आधार से जोड़े गए है।
मंत्रालय ने कहा कि देश की लगभग सभी उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न वितरण 5.33 लाख ई-पीओएस उपकरणों के जरिए संचालित किया जाता है। ये ई-पीओएस उपकरण से सही लाभार्थियों को राशन पहुंचाना संभव होता है। आधार प्रमाणीकरण का उपयोग अभी कुल खाद्यान्न के करीब 98 फीसदी वितरण के लिए हो रहा है, जिससे अपात्र लाभार्थियों को हटा कर हेरा-फेरी की आशंका कम कर दी गई है।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर सत्यापन प्रक्रिया से सही लाभार्थी लक्ष्यीकरण सुनिश्चित करने के भी कई कदम उठाए हैं। सभी सार्वजनिक वितरण प्रणाली लाभार्थियों में से 64 फीसदी का ईकेवाईसी किया जा चुका है, जबकि शेष लाभार्थियों के ईकेवाईसी पूरा करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। डिजिटलीकरण और आधार से जोड़े जाने से राशन कार्डों का दोहराव समाप्त हो गया है और लगभग 5.8 करोड़ राशन कार्ड जन वितरण प्रणाली प्रणाली से हटा दिए गए हैं।
मंत्रालय के मुताबिक वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) पहल में राशन कार्ड की राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देश के किसी भी हिस्से में सभी 80.6 करोड़ लाभार्थियों को उसी मौजूदा राशन कार्ड द्वारा निःशुल्क खाद्यान्न की नियमित उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित हुई है, चाहे उनके राशन कार्ड किसी भी राज्य या जिले में जारी हुए हों। इससे केवल पात्र व्यक्ति ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) में शामिल हों।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर