बीएचयू वैदिक विज्ञान केंद्र में कार्यशाला, वक्ता बोले, भाषा मनुष्य का सबसे बड़ा आविष्कार
वाराणसी। बीएचयू के वैदिक विज्ञान केन्द्रमें संस्कृत एवं संगणक विद्या के विविध आयाम विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें भाषा के महत्व पर चर्चा की गई। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में सद्गुरु माधव प्रियदास, अध्यक्ष, श्री स्वामी नारायण गुरुकुलम्, गुजरात का आशीर्वाद वीडियो संदेश प्रसारित किया गया।
आईआईटी बीएचयू के पूर्व निदेशक व आईआईटी हैदराबाद के आचार्य प्रो. राजीव संगल ने ने कहा कि भाषा मनुष्यों की ओर से किया गया अब तक का सबसे बड़ा आविष्कार है। बातचीत के लिए भाषा, विचार के लिए भाषा, कला एवं संस्कृत के लिए भाषा, आजीविका के लिए भाषा विज्ञान और गणित आदि को सीखने-सिखाने के लिए जरूरी है। उन्होंने पूर्ण रूप से भारतीयों की ओर से विकसित किए गए भाषिणी, संसाधनी आदि तकनीकी टूल्स की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. अम्बा कुलकर्णी, आचार्या, संस्कृत अध्ययन विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद ने कहा कि शाब्दबोध के लिए पाणिनीय व्याकरण का तकनीकी दृष्टि से अध्ययन भी अपेक्षित है। उन्होंने व्याकरण के पांच प्रयोजन रक्षा, ऊह, आगम आदि की तकनीकी रूप में व्याख्या की तथा Universal Semantic Grammar (सार्वभौम आर्थी व्याकरण) और Universal Semantic Representation (सार्वभौम आर्थी संरचना) की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि संस्कृतभाषा वैज्ञानिक भाषा है, जिसमें प्रत्येक शब्द अपने अर्थ का उद्घाटन स्वयं ही करता है। संस्कृत भाषा तथ्यों के आधार पर सत्य का उद्घाटन करती है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर विजय कुमार शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सभी वक्ताओं के वक्तव्यों का सारांश प्रस्तुत करते हुए भाषा की महत्ता पर प्रकाश डाला। वैदिक विज्ञान केन्द्र की ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सराहना की। कहा कि भविष्य में भी ऐसे ही निरन्तर कार्यक्रम करते रहें, जिससे जनमानस लाभान्वित होता रहे।
इसके अतिरिक्त तीन अन्य सत्रों का संचालन किया गया। इसमें प्रोफेसर राजाराम शुक्ल, पूर्व कुलपति, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, प्रो. गोपबन्धु मिश्र, पूर्व कुलपति सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय व प्रो. प्रमोद कुमार मिश्र, पूर्व अध्यक्ष संगणक विभाग, विज्ञान संस्थान, बीएचयू क्रमश: सत्रों के अध्यक्ष रहे। प्रोफेसर सम्पदानन्द मिश्र, डा. शिवानी वी., डा. मोनाली दास, डा. रूचिर गुप्ता, प्रो मल्हार अरविन्द कुलकर्णी, डा. शिवजा एस. नायर, श्रीराम कृष्णन, प्रोफेसर अर्नव भट्टाचार्य, उज्जवल किशोर झा आदि ने अपने-अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। अन्य सत्रों का संचालन डा. अभिमन्यु, प्रोफेसर राजकिशोर आर्य, डा. प्रवीण गट्ला ने किया।
कार्यशाला का प्रारम्भ वैदिक मंगलाचरण, महामना मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व कुलगीत गायन से हुआ। सत्र संचालन प्रोफेसर ब्रजभूषण ओझा, आयोजन सचिव एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला संयोजिका डा. सुखदा, आईआईटी बीएचयू ने किया। कार्यशाला में मुख्य रूप से प्रो आरसी पण्डा, पूर्व कुलपति, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन, प्रो. प्रद्युम्न शाह सिंह, प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, प्रो. आरके मिश्र, प्रो. रामसागर मिश्र, प्रो. मृत्युंजय देव पाण्डेय, डा. कृष्णमुरारी त्रिपाठी, डॉ. सन्ना लाल मौर्या, डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी, डॉ. अभिजित् दीक्षित आदि विद्वान् व विभिन्न विश्वविद्यालयों से 300 से अधिक छात्रों ने ऑनलाईन एवं ऑफलाईन माध्यम से सहभाग किया।
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