काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विदुषी प्रेमलता शर्मा व्याख्यान श्रृंखला का उद्घाटन
डॉ. उपाध्याय ने अपने व्याख्यान में संगीत के शास्त्रीय पक्ष की महत्ता पर जोर दिया और बीएचयू संगीत महाविद्यालय के संस्थापक पंडित ओंकारनाथ ठाकुर की शिष्या, विदुषी प्रेमलता शर्मा के जीवन से जुड़े रोचक किस्से साझा किए। उन्होंने यह भी कहा कि संगीत के प्रयोग के बारे में चर्चा करना, लिखना या विचार करना ही संगीतशास्त्र है और इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया।
एक उल्लेखनीय घटना का जिक्र करते हुए डॉ. उपाध्याय ने बताया कि प्रख्यात कथक गुरु पंडित बिरजू महाराज के साथ यात्रा के दौरान, प्रोफेसर प्रेमलता शर्मा और डॉ. उपाध्याय ने संगीत रत्नाकर के नर्तन अध्याय पर चर्चा की थी। पंडित बिरजू महाराज ने यह स्वीकार किया कि संगीत शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए संगीत शास्त्र का अध्ययन अनिवार्य है।
कार्यक्रम की शुरुआत में माँ सरस्वती, पंडित मदन मोहन मालवीय और पंडित ओंकारनाथ ठाकुर की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। संकाय प्रमुख प्रो. संगीता पंडित ने स्वागत भाषण दिया। इसके बाद 83 वर्षीय डॉ. आदिनाथ उपाध्याय को संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए "कौस्तुभ कला रत्न सम्मान" से सम्मानित किया गया। यह सम्मान संकाय प्रमुख, वाद्य विभागाध्यक्ष प्रो. बिरेन्द्र नाथ मिश्र और आयोजन सचिव प्रो. प्रवीण उद्धव द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शुभंकर ने किया और संचालन कृष्ण कुमार उपाध्याय ने किया।
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