वीर बाल दिवस हमें प्रेरणा देता है और नए संकल्पों की दिशा दिखाता है: कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा
वाराणसी। त्याग, तप, बलिदान और समर्पण का प्रतीक वीर बाल दिवस प्रत्येक वर्ष 26 दिसंबर को सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की अमर शहादत की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिवस धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले वीर साहिबजादों अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह के अद्वितीय साहस और वीरता को नमन करने का अवसर है।
कुलपति का संदेश
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने वीर बाल दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार एवं संस्कृत समाज को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस हमें केवल अतीत की स्मृति नहीं कराता, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए प्रेरणा देता है। यह दिन युवाओं को सच्चाई, आत्मसम्मान और धर्म के मार्ग पर अडिग रहने का संदेश देता है।
वीर बाल दिवस का इतिहास
कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर समाज को साहस और आत्मबल का मार्ग दिखाया। वर्ष 1705 में मुगलों द्वारा किए गए अत्याचारों के दौरान गुरु जी को अपने परिवार से अलग होना पड़ा। उनके दो बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह मुगल सेना से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को मुगलों द्वारा दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। इतनी अल्प आयु में दिया गया यह बलिदान आज भी मानव इतिहास में अद्वितीय माना जाता है।
वीर बाल दिवस का महत्व
प्रो. शर्मा ने कहा कि वीर बाल दिवस हमें यह सिखाता है कि धर्म, मानवता और सच्चाई के लिए संघर्ष करना ही सच्चा धर्म है। यह दिवस साहस, नैतिकता और आत्मबल को मजबूत करता है तथा समाज को अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देता है। वीर बाल दिवस हमें नए संकल्प लेने और राष्ट्र व समाज के लिए सकारात्मक योगदान देने का संदेश देता है।
युवाओं में त्याग और समर्पण की भावना
वीर बाल दिवस के अवसर पर शिक्षण संस्थानों एवं जनजागरण केंद्रों पर ऐसे पुनीत पर्व का आयोजन निश्चित रूप से साहिबजादों की वीरता और बलिदान को जीवंत बनाए रखता है। इससे युवाओं में त्याग, तप और समर्पण की भावना जागृत होती है तथा वे राष्ट्र और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को और अधिक जिम्मेदारी के साथ समझ पाते हैं।

