वाराणसी : काशी में कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ रुद्रचंडी महायज्ञ, मां काली और शिव जी प्रतिमाओं की होगी प्राण प्रतिष्ठा

वाराणसी। मंडुआडीह के सरकारीपुरा क्षेत्र में सोमवार को रुद्रचंडी महायज्ञ का शुभारंभ कलश यात्रा के हुआ। 9 दिवसीय आयोजन 22 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें वैदिक परंपराओं के अनुसार मां काली और भगवान शिव की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा भी होगी। कलश यात्रा के दौरान श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का उदाहरण देखने को मिला।
यात्रा की शुरुआत सरकारीपुरा गांव से हुई। श्रद्धालु लहरतारा स्थित राम जानकी मंदिर पहुंचे, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पवित्र जल संग्रह किया गया। इस जल का उपयोग यज्ञ में आहुति के लिए किया जाएगा। यात्रा में सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक परिधान और मंगलगीतों के साथ कलश लेकर शामिल हुईं। ढोल-नगाड़ों, शंखनाद और जयकारों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
यज्ञ की शुरुआत काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य अनुपम शुक्ला (मुन्ना गुरुजी) के आचार्यत्व में की गई। 21 विद्वान आचार्यों की टीम ने वैदिक विधियों से कलश पूजन, गणपति पूजन और मंडप प्रवेश संपन्न कराया। आचार्य शुक्ला ने बताया कि यह महायज्ञ आत्मिक शांति, सामाजिक समरसता, प्रकृति संतुलन, रोग नाश और राष्ट्र कल्याण के उद्देश्य से आयोजित किया गया है।
संध्या समय मंत्रोच्चार के साथ आध्यात्मिक प्रवचनों का आयोजन हो रहा है, जिसमें मधुर वाणी और भक्ति से ओतप्रोत कथाओं ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। भक्तों को धर्म, सेवा और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जा रही है। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा मां दुर्गा की जीवन लीला पर आधारित भव्य झांकियों का आयोजन किया गया है, जिससे माहौल और भी दर्शनीय हो गया है। आयोजन को लेकर मंडुआडीह क्षेत्र में उत्सव जैसा वातावरण है। महिलाएं मंगल गीतों से वातावरण को पवित्र कर रही हैं, वहीं युवा वर्ग सेवा, संचालन और भोजन प्रसाद व्यवस्था में बढ़-चढ़कर भाग ले रहा है।
इस पावन यात्रा में आचार्य इंद्रेश पांडेय, आचार्य रामदत्त पांडेय, बृजेश तिवारी, राजबाबू पांडेय, गिरजाशंकर भारद्वाज, किशन भारद्वाज, संटलाल, अशोक मौर्य, दीपक तिवारी समेत कई आचार्य व यजमान शामिल रहे।