वाराणसी: नरसिंह जयंती पर जगन्नाथ मंदिर में विशेष पूजन और भजन, भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने वाले भगवान नरसिंह को किया नमन
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह की जयंती वाराणसी के जगन्नाथ मंदिर परिसर स्थित नरसिंह मंदिर में धूमधाम से मनाई गई। श्री जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में भक्तों ने भगवान नरसिंह की महिमा का गुणगान किया और उनकी कृपा से भक्त प्रह्लाद की रक्षा की कथा को याद किया।
भव्य पूजन और आरती
मंदिर के प्रधान पुजारी राधेश्याम पांडे ने भगवान नरसिंह की आदमकद प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर नवीन वस्त्र पहनाए। इसके बाद फूलों की मालाओं से भव्य शृंगार किया गया और फल, मिष्ठान, और पकवानों का भोग लगाया गया। भव्य आरती के साथ भक्तों ने भगवान नरसिंह की महिमा का गुणगान किया। आरती के पश्चात भक्तों में प्रसाद वितरित किया गया।

भक्त प्रह्लाद और नरसिंह की कथा
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, दैत्यराज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था और प्रह्लाद से उसकी पूजा करने को कहता था, लेकिन प्रह्लाद ने इसे ठुकरा दिया। क्रोधित हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद पर अनेक अत्याचार किए—उसे पहाड़ से फेंकवाया, समुद्र में डुबोया, और पागल हाथी के सामने फेंकवाया—लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर बार बच गए। एक बार जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा, "तुम्हारा भगवान कहां है?" तो प्रह्लाद ने कहा, "वह इस खंभे में भी हैं।" क्रोधित हिरण्यकश्यप ने खंभे पर प्रहार किया, तभी भगवान नरसिंह आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने गोधूलि बेला में, न दिन न रात, अपनी जांघ पर हिरण्यकश्यप को रखकर, बिना हथियार के अपने नाखूनों से उसका वध किया, जिससे हिरण्यकश्यप के वरदान की शर्तें पूरी हुईं।

भजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
नरसिंह जयंती के अवसर पर मंदिर में भजन आयोजन किया गया, जिसमें विष्णु भजन मंडली, दुर्गाकुंड के कलाकारों ने भगवान नरसिंह के चरणों में अपनी भक्ति भजनों के माध्यम से अर्पित की। सोनू तिवारी, दिलीप कुमार, और मोदनमल जैसे कलाकारों ने सुंदर प्रस्तुतियां दीं, जिन्होंने भक्तों को भावविभोर कर दिया।


