वाराणसी : सबके राम और सबमें राम के साथ दुनिया में फैलेगा रामपंथ

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वाराणसी। विश्व भर में टूटते रिश्तों को बचाने की बड़ी पहल रामपंथ की ओर से की जा रही है। श्रीराम परिवार भक्ति आन्दोलन और राम सम्बन्ध संस्कृति के माध्यम से परिवार और समाज को सम्बन्धों में बांधने का अभियान रामपंथ चला रहा है। इससे जुड़ने के लिए नीदरलैंड के श्रीराम आस्थावादी संत स्वामी अखण्ड सम्राट आनंद महाराज सुभाष भवन पहुंचे। रामपंथ एवं विशाल भारत संस्थान से आयोजित सबके और सबमें राम : वैश्विक आवश्यकता विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि आनंद जी महाराज ने विश्व के पहले सुभाष मन्दिर में 7 किलो की माला अर्पित कर नेताजी सुभाष के प्रति श्रद्धा व्यक्त किया। उन्होंने सुभाष मन्दिर में आरती एवं दीपोज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

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इस अवसर पर अनाज बैंक की ओर से आनंद जी महाराज के कर कमलो से 50 बांसफोर परिवार को होली की त्योहारी के रूप में अनाज की पोटली वितरित की गई। स्वामी अखण्ड सम्राट आनंद जी महाराज का रामपंथ के पंथाचार्य डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने अंगवस्त्र्म ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर रामपंथ के पंथाचार्य ने कहा कि आज विश्व को भगवान राम के मर्यादा की जरूरत है। जब तक देश देश के लोक व्यवहार में राम की मर्यादा नहीं आएगी, तब तक न परिवार बचेगा और न रिश्ते। समाज को कानून से नहीं सम्बन्धों से चलाया जा सकता है। सम्बन्धों के संसाधन को मजबूत करके भगवान श्रीराम की मर्यादा को अपनाकर परिवार बचाया जा सकता है। दुनियां में शांति और प्रेम का माध्यम श्रीराम परिवार भक्ति है। रामपंथ और अखण्ड सम्राट आनंद जी महाराज का उद्देश्य एक है। इसलिये हमलोग मिलकर श्रीराम परिवार भक्ति का विस्तार पूरी दुनियां में करेंगे। भेदभाव मुक्त और बन्धन रहित श्रीराम सम्बन्ध मन्दिर का निर्माण लमही के श्रीराम आश्रम में कराया जा रहा है, जहां दुनियां का कोई भी व्यक्ति मन्दिर में भगवान राम का दर्शन पूजन कर पुजारी भी बन सकता है।

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मुख्य अतिथि ने कहा कि भगवान श्रीराम सिर्फ हमारे नहीं हैं, सभी के हैं। राम भूत या वर्तमान के नहीं हैं बल्कि सदैव हैं। रामपंथ वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक पुनर्जागरण की आवश्यकता है। भगवान श्रीराम केवल भारत के ही नहीं बल्कि दुनियां के लिये आदर्श पुरूष हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य एवं साहस नहीं खोया। त्याग, सेवा, समर्पण के माध्यम से दुनियां को शांति का सन्देश देने वाले प्रतीक हैं। भगवान श्रीराम की पूजा एवं अराधना के लिये मंदिर का निर्माण होना आवश्यक है। इसके साथ ही साथ उनके जीवन संबंधी दी गयी शिक्षाओं का अनुकरण करने से ही मानव जाति का उद्धार होगा। रामयुग से ही भारत दुनियां में विश्व गुरु बनेगा। यूरोपीय देशों में भौतिक समृद्धि के साथ सांस्कृतिक पतन लगातार होता रहा। जिसकी वजह से पूरी दुनियां में अशांति एवं संघर्ष हो रहा है। पूरी दुनियां में राम का मंदिर बनेगा, ताकि सभ्यता की पुनर्वापसी हो सके। यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काल है। दुनियां के पास राम के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

भारत सरकार के उर्दू काउंसिल की सदस्य रामभक्त नाज़नीन अंसारी ने कहा कि अरब देशों में राम की मर्यादा स्थापित करने के लिये श्रीराम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। श्रीराम की मर्यादा ही अब दुनियां में शांति और सद्भावना की गारंटी है। संगोष्ठी का संचालन डॉ. अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद डॉ. नजमा परवीन ने दिया। इस अवसर पर डॉ. मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, ज्ञानप्रकाश, शिवेन्द्र सिन्हा, शंकर बोस, राहुल मुखर्जी, अजीत सिंह टीका, डॉ. भोलाशंकर, डीएन सिंह, अनिल पाण्डेय, विवेकानन्द सिंह, सचिन सिंह, अंकित, सौरभ पाण्डेय, सत्यम, अफरोज, फिरोज, सेराज अहमद, अकसम रघुवंशी, लल्लन प्रताप सिंह, सरोज, गीता, किशुना, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि रहीं।

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