वाराणसी दशहरा के अवसर पर काव्य गोष्ठी संपन्न, कवियों ने अपनी प्रस्तुति के जरिये बताया दशहरा का महत्व
वाराणसी। संस्थान बरेका द्वारा काशी काव्य संगम के सहयोग से दशहरा के उपलक्ष्य में आयोजित काव्य गोष्ठी का भव्य आयोजन संस्थान के बहुउद्देशीय हाल में संपन्न हुआ। इस अवसर पर 'विजयोत्सव' की थीम पर आधारित कवि गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देना था। कवियों ने अपनी कविता का पाठ किया, जिसे खूब सराहा गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार धर्मेंद्र गुप्त 'साहिल' ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार हीरालाल मिश्र 'मधुकर' उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में मुंबई से पधारीं डॉ. शोभा स्वप्निल और अन्य प्रमुख साहित्यकार, जैसे शिव प्रकाश मिश्रा और महेंद्र नाथ तिवारी 'अलंकार' ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। विकास पांडेय 'विदीप्त' द्वारा मां वाणी की वंदना के साथ काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
मुख्य अतिथि हीरालाल मिश्र 'मधुकर' ने दशहरे के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह त्योहार सिर्फ रावण के अंत की कहानी नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म कर अच्छाई की स्थापना का प्रतीक है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि अपने भीतर के नकारात्मक विचारों को त्यागकर सद्विचारों को अपनाना चाहिए। काव्य गोष्ठी में शहर के प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। गणेश सिंह 'प्रहरी', गिरीश पांडेय, शिव प्रकाश मिश्रा, सतीश कुमार शुक्ल, जयप्रकाश मिश्रा 'धानापुरी', महेंद्र श्रीवास्तव, मनीबेन द्विवेदी, और अन्य कवियों ने अपनी भावपूर्ण कविताओं से वातावरण को साहित्यिक रंगों से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पांडेय ने किया। वहीं संयोजन परमहंस तिवारी 'परम', आनंद कृष्ण 'मासूम', और आनंद राय ने किया।
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