वाराणसी :  किसान विकास मंच ने स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती मनाई, बोले, किसान के हक की रक्षा ही स्वामी जी को सच्ची श्रद्धांजलि

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वाराणसी। मोहनसराय किसान संघर्ष समिति और स्वामी सहजानन्द विचार मंच के तत्वाधान में बैरवन मे संगठित किसान अन्दोलन के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती जी की 135वीं की जयंती मनाई गई। इस दौरान चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही उनके संघर्षों को याद किया। 

स्वामी सहजानंद विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक किसान नेता विनय शंकर राय "मुन्ना" ने कहा कि किसानों के वैधानिक हक अधिकार की रक्षा ही स्वामी सहजानन्द सरस्वती के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। स्वामी जी अथक कर्मठी, वेदान्त और मीमांसा के महान विद्वान, बेबाक पत्रकार एवं लेखक के साथ संगठित किसान आंदोलन के जनक एवं संचालक थे। स्वामीजी का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के देवा गांव में 22 फरवरी 1889 को हुआ था। विनय राय ने कहा कि दण्डी स्वामी जी अन्नदाता किसान को धरती का साक्षात भगवान मानते थे। इसलिए उन्होंने वन्देअन्नदातारम् का नारा देकर किसान हित में सृजनात्मक एवं संघर्षनात्मक कार्य को ही साधना मानकर आजीवन संघर्ष करते रहे। 

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संचालन करते हुए स्वामी सहजानन्द विचार मंच के सहसंयोजक के नीरज सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुआ। असहयोग आंदोलन बिहार में गति पकड़ा तो स्वामी सहजानंद जी उसके केन्द्र में थे। उन्होंने घूम घूमकर अंग्रेजी राज के खिलाफ़ किसानों मजदूरों को खड़ा किया। जब वह जनता से मिल रहें थे तो उन्होंने देखा देश में किसानों की हालत गुलामों से भी बदतर है। स्वामी सहजानन्द जी का मन एक बार फिर नये संघर्ष की ओर उन्मुख होता है। स्वामी जी किसी भी प्रकार के अन्याय के खिलाफ डट जाने का स्वभाव रखते थे। गिरे हुए को उठाना अपना प्रधान कर्तव्य मानते थे। 

मुख्य वक्ता रिपुन्जय राय "मंजय" ने कहा कि दण्डी संन्यासी होने के बावजूद सहजानंद ने रोटी को हीं भगवान कहा और किसानों को भगवान से बढ़कर बताया। स्वामीजी ने नारा दिया था- "जो अन्न वस्त्र उपजाएगा,अब सो कानून बनायेगा। ये भारतवर्ष उसी का है,अब शासन वहीं चलाएगा।  अपने स्वजातीय जमींदारों के खिलाफ भी उन्होंने आंदोलन का शंखनाद किया। सचमुच जो श्रेष्ठ होते हैं वे जाति, धर्म, सम्प्रदाय और लैंगिक भेद-भाव से ऊपर होते हैं। हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में रहते हुए उन्होंने एक पुस्तक लिखी- "किसान क्या करें लिखी। उसमें किसान व आम इंसान के जीवन के बारे में चर्चा की है। 


इस दौरान कृष्ण प्रसाद पटेल उर्फ छेदी बाबा, गगन प्रकाश यादव, अमलेश पटेल, डा विजय नरायण वर्मा, उदय प्रताप पटेल, हृदय नारायण उपाध्याय, आशीष एवं ऋषि राय ने विचार व्यक्त किया।  विजय गुप्ता, धीरज यादव, जय वर्मा, अवधेश प्रताप, गौरव पटेल,चंदन पटेल, दिनेश पटेल, रमेश, मदन पटेल, उमाशंकर पटेल, रमाशंकर पटेल, प्रमोद पटेल,राम नारायण पटेल, सुरेश पटेल, मदनलाल, सुभाष पटेल, सोमनाथ पटेल ,बलराम पटेल, प्रेम पटेल, रवि पटेल ,हनुमान पटेल ,शुभम पटेल ,लक्ष्मी नारायण, विजय पटेल, कल्लू पटेल, सुजीत पटेल, नीतीश पटेल, सोनू पटेल, अजीत पटेल, राजनाथ पटेल ,वकील ,चंदन पटेल, दीपू पटेल ,रमेश पटेल, डंगरू पटेल, रघुवर पटेल, राजेंद्र पटेल नीरज पटेल ,नीतीश पटेल, रामकुमार पटेल, संजू बाबा ,महेंद्र पटेल, सोनू पटेल ,देवनाथ पटेल ,राहुल पटेल, नरेश पटेल ,रतन पटेल ,रोहित पटेल ,बंटी संदीप पटेल ,काशीनाथ पटेल, मुन्ना पटेल, सुरेश मौर्या आदि रहे।

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