वाराणसी :  भावनात्मक उत्थान के लिए किया गया मजाक वरदान, गोष्ठी में हुई चर्चा 

नले
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वाराणसी। सामाजिक संस्था व्यथा के अंतर्गत रविवार को कालभैरव मंदिर के प्रधान गद्दीदार योगी योगेश्वर के आवास पर किया गया। मजाक वरदान या अभिशाप विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें मजाक को लेकर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि भावनात्मक उत्थान के लिए किसी के साथ किया गया मजाक वरदान साबित होता है, जबकि व्यंग के रूप में बोला गया मजाक अभिशाप साबित होता है। इसलिए मजाक करते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। 

मुख्य अतिथि सीआरपीएफ शिलांग के कमांडेंट दिनेश सिंह चंदेल रहे। उन्होंने कहा कि मजाक जीवन का वरदान तभी है जब हम भावनाओं का सम्मान करते हुए भावनात्मक उत्थान के लिए किया जाए। वरना यह मजाक अभिशाप बन जाता है। सुल्तानपुर राजकीय आयुर्वेद विद्यालय के योग प्रशिक्षक किशन विश्वकर्मा ने कहा कि यदि किसी को मारना है तो शब्द बाण  से मारे उसका ज्यादा प्रभाव होता है। इस अवसर पर योगी योगेश्वर ने कहा कि महाभारत का युद्ध द्रोपती के गलत तरीके से मजाक उड़ाने के परिणाम स्वरुप हुआ। इसमें भयानक मानवीय त्रासदी के रूप में सदैव स्मरण रखा जाएगा। यदि द्रौपदी ने अंधे का पुत्र अंधा कहकर दुर्योधन का मजाक नहीं उठाया होता तो शायद महाभारत का भीषण युद्ध नहीं होता। कार्यक्रम के अंत में कमांडेंट दिनेश कुमार चंदेल को योगी योगेश्वर एवं उनकी समस्त योग टीम ने उन्हें एक स्मृति चिह्न और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। 

इस दौरान बनारसी लाल गुप्ता, चंदन विश्वकर्मा, अजय सेठ, विकास बिंद सहित सीआरपीएफ की अनेक जवान उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभुनाथ योगेश्वर ने किया। संचालन एवं आयोजन योगी प्रकाशनाथ योगेश्वर काल भैरव मंदिर के प्रधान गद्दीदार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अजीत पाठक ने किया।

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