वाराणसी : बौद्धिक संपदा संरक्षण से कृषि अनुसंधान को मिलेगी दिशा, किसानों को होगा लाभ
वाराणसी। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी की ज़ोनल तकनीकी प्रबंधन इकाई के तत्वाधान में बुधवार को बौद्धिक सम्पदा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों के अतिरिक्त ज़ोनल प्रबंधन इकाई से सम्बद्ध अन्य 10 संस्थानों के संस्थान तकनीकी प्रबंधन इकाइयों के प्रभारी वैज्ञानिकों ने ऑनलाइन सहभागिता की। इसमें बौद्धिक संपदा संरक्षण से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई।
राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर सिद्धार्थ शुक्ला ने “बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं परंपरागत ज्ञान” विषय पर अपने विचार रखे। प्रोफेसर शुक्ला ने बौद्धिक सम्पदा और हमारे पारंपरिक ज्ञान का वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में महत्व एवं इनके संरक्षण के विभिन्न उपायों से अवगत कराया।
इस अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. तुषार कांति बेहेरा ने कृषि क्षेत्र और विज्ञान मे बौद्धिक संपदा के संरक्षण पर बल देते हुए वैज्ञानिकों को वैश्विक बाज़ार मे अपनी तकनीकों को सुरक्षित तरीके से उपयोग कर किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्य करने को प्रेरित किया। इस अवसर पर संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ. नागेन्द्र राय, अखिल भारतीय समन्वित सब्जी परियोजना के समन्वयक डॉ. राजेश कुमार एवं अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुहास करकुटे तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ नीरज सिंह ने किया।
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