वाराणसी : भंदहा कला में तालाब किनारे मिली देव प्रतिमाएं नौवीं सदी की, सातवीं सदी का है एकमुखी शिवलिंग
वाराणसी। चौबेपुर क्षेत्र के भन्दहा कला गांव स्थित विशाल जलाशय के समीप लघु देव प्रतिमाएं नौवीं सदी की हैं। वहीं एकमुखी शिवलिंग सातवीं सदी का है। ग्रामीणों के प्रयास के बाद पुरातत्व विभाग की टीम ने सर्वे कर अपनी आख्या प्रस्तुत की। इसके अनुसार इन अवशेषों के सैकड़ों साल प्राचीन होने के प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं।
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. सुभाष चन्द्र यादव की टीम ने क्षेत्र का अध्ययन करके अपनी आख्या प्रस्तुत की है। इसके अनुसार यहां प्राप्त देव प्रतिमाओं के अवशेष 9 वीं-10 वीं शताब्दी के आस पास के हैं। वहीँ पास में स्थित एकमुखी शिवलिंग 7-8 वीं शताब्दी के आस पास का है। इस एकमुखी शिवलिंग की प्रतिमा अद्भुत है और इसे स्वयंभू त्रिपुरारी महादेव के रूप में ग्रामवासियों द्वारा पूजित किया जाता है।
तालाब में स्थित स्तम्भ, जिसकी ऊंचाई 9 फीट और व्यास 4 फीट है। उस पर अंकित अभिलेख के आधार पर पुरातत्व विभाग ने इसे 19 वीं शताब्दी का होना बताया है। इसी प्रकार अन्य खंडित देव विग्रहों की उपस्थिति इस स्थान पर किसी भव्य मन्दिर का अस्तित्व होने का प्रमाण है।
भंदहा कला ग्राम निवासी एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अधिवक्ता पवन पाण्डेय ने इन प्राचीन देव प्रतिमाओं के संरक्षण और जलाशय के सुन्दरीकरण के साथ ही स्वयंभू त्रिपुरारी महादेव के रूप में पूजित दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग का भव्य मंदिर बनाने की दिशा में विगत वर्षों से लगातार प्रयास किया। ऐसा माना जा रहा है कि पुरारात्व विभाग की आख्या आने के बाद शासन भी इसे संज्ञान अवश्य लेगा। इसको लेकर क्षेत्रीय लोगों में बहुत उत्साह है।
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