वाराणसी : जैव विविधता को खतरे में डाल रहीं मानवीय गतिविधियां, कृषि विशेषज्ञों ने किया आगाह
वाराणसी। आराजी लाइन ब्लाक के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में रविवार को अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। इसके अंतर्गत नीम वृक्ष पौध रोपण, वैज्ञानिक चर्चा एवं वृहद् कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पादप स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर चर्चा की गई।
उद्घाटन सत्र में फ़सल सुधार विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नाथ सिंह ने कार्यक्रम की महत्वा एवं रुपरेखा पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने पादप स्वास्थ्य का मनुष्य जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की। डॉ सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 2024 का विषय 'पौधा स्वास्थ्य, सुरक्षित व्यापार, डिजिटल प्रौद्योगिकी' है। जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां पारिस्थितिक तंत्र को बदल रही हैं और जैव विविधता को खतरे में डाल रही हैं। कीटों के पनपने के लिए नए स्थान बना रही हैं। ऐसे में पौधों की सुरक्षा के लिए कदम उठाकर हम भूख को रोकने, गरीबी को कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने और भावी पीढ़ियों के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्य्क्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कांति बेहेरा ने कहा कि पेड़-पौधे पृथ्वी का जीवन हैं और हम सभी उन पर आश्रित हैं।हम पेड़-पौधों की वजह से ही सांस लेते हैं और भोजन कर पाते हैं| पौधे हमारे लिए 80 फीसदी तक भोजन और 98 फीसदी तक ऑक्सीजन पैदा करते हैं। आज के दौर में इंसानी बस्ती पौधों के जीवन को नुकसान पहुंचा रही है। कई गंभीर बीमारियां और कीट हर साल 40 फासदी तक खाद्य फसलों को बर्बाद कर देते हैं। इसके कारण वातावरण में कई बदलाव देखे जा रहे हैं, और इस बदलाव का असर इंसानों पर भी पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इस बदलाव को रोकने और पौधों के संरक्षण के लिए हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। यह दिन पौधों के स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ व्यापार सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। दरअसल, यह दिवस भूख को रोकने, गरीबी को कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने के लिए खास तौर से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। कार्यक्रम संचालन डॉ.एएन त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन पूर्वविभागाध्यक्ष डॉ केके पाण्डेय ने किया।
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