वाराणसी: भारतीय सेना के मनोबल के लिए राम जानकी मंदिर में हनुमान चालीसा पाठ और यज्ञ-हवन

काशी विद्यापीठ : दर्शनशास्त्र विभाग में आर.डी.सी. की बैठक 24 मई को   वाराणसी। दर्शनशास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में शोध में प्रवेश के द्वितीय चरण के अन्तर्गत पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन एवं साक्षात्कार के लिए आर.डी.सी. की बैठक 24 मई को आयोजित है। विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार मिश्र ने बताया कि बैठक पूर्वाह्न 10 बजे से दर्शनशास्त्र विभाग में होगी। बैठक में अर्ह अभ्यर्थियों को अपने सभी मूल अभिलेखों/प्रमाण-पत्रों के साथ साक्षात्कार के लिए उपस्थित होना अनिवार्य है।
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वाराणसी।  भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना के शौर्य और मनोबल को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राम जानकी मंदिर में विशेष धार्मिक आयोजन किया गया। इस अवसर पर हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया और यज्ञ-हवन के साथ आहुतियां डाली गईं, ताकि भारतीय सेना पाकिस्तान की कायराना हरकतों का करारा जवाब दे सके और आतंकवाद का सफाया कर विजय हासिल करे।

सेना के पराक्रम के लिए प्रार्थना

पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, और इसके जवाब में भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर है। इस पृष्ठभूमि में वाराणसी के राम जानकी मंदिर में श्रद्धालुओं ने भारतीय सेना के लिए विशेष प्रार्थना की। हनुमान चालीसा के पाठ और यज्ञ-हवन के माध्यम से सेना के साहस, शक्ति, और विजय की कामना की गई।

स्थानीय लोगों की भावनाएं

आयोजन में शामिल श्री राम द्विवेदी ने कहा, "भारतीय सेना हमारा गर्व है। हनुमान चालीसा और यज्ञ के माध्यम से हम उनके मनोबल को और मजबूत करने की प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि वे पाकिस्तान के आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकें।" डॉ. अभिषेक द्विवेदी गणेश ने जोड़ा, "यह धार्मिक आयोजन सेना को शक्ति और देशवासियों को एकता का संदेश देता है। हमें अपनी सेना पर पूरा भरोसा है।" कृष्ण कुमार द्विवेदी ने कहा, "पाकिस्तान की कायराना हरकतों का जवाब देने के लिए हमारी सेना सक्षम है। यह यज्ञ उनकी विजय के लिए है।"

धार्मिक और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक

राम जानकी मंदिर में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सेना के प्रति सम्मान का प्रतीक रहा। श्रद्धालुओं ने यज्ञ में आहुतियां डालकर देश की सुरक्षा और आतंकवाद के खात्मे की प्रार्थना की। यह आयोजन वाराणसी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को राष्ट्रीय गौरव के साथ जोड़ने का एक अनूठा प्रयास था।

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