वाराणसी :  जीनोम एडिटिंग टेक्नोलॉजी से आसानी से विकसित होंगी फसलों की उन्नत प्रजातियां, कृषि विशेषज्ञों ने बताई बारीकी 

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वाराणसी। आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के शाहंशाहपुर स्थित सब्जी अनुसंधान केंद्र में परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें कृषि विशेषज्ञों ने जीनोम एडिटिंग टेक्नोलॉजी के सब्जी फसलों में अनुप्रयोगों पर चर्चा की। वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी, अमेरिका के प्रोफेसर डॉ उमेश रेड्डी एवं डॉ पद्मा ने संस्थान में वैज्ञानोकों के साथ अनुसंधानपरक विचार विमर्श किया। 

इस अवसर पर एनबीपीजीआर, नई दिल्ली की प्रधान बायोटेक्नोलॉजिस्ट डॉ अम्बिका बलदेव उपस्थित रहीं। अतिथि वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए निदेशक डॉ तुषार कांति बेहेरा ने किया। उन्होंने कहा कि जीनोम एडिटिंग टेक्नोलॉजी के माध्यम से फसल में सुधार के व्यापक मायने हैं और इससे आसानी से उन्नत फसलों का विकास किया जा रहा है। डॉ उमेश रेड्डी ने कहा कि फसली पौधों में मौजूद जीनोम अनुक्रमों की गहन समझ के द्वारा रोगों से प्रतिरोधी एवं जलवायु परिवर्तन से निरपेक्ष फसलों की प्रजातियों के विकास संभव है। डॉ पद्मा ने शोध छात्रों के लिए उपयोगी विभिन्न शोध विधाओं की बात कही और डॉ गायकवाड़ ने सब्जी फसलों के उन्नयन से संबंधित अपने अनुभव साझा किए। 

इस अवसर पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ अच्युत कुमार सिंह ने संस्थान में चल रहे ट्रांसजेनिक एवं जीनोम एडिटिंग तथा डॉ डीपी सिंह ने मेटाबोलोमिक्स एवं प्रोटीओमिक्स के माध्यम से सब्जी फसलों पर किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया। होली के त्योहार की पूर्व संध्या पर संस्थान के निदेशक डॉ बेहेरा ने अतिथि वैज्ञानिकों सहित संस्थान के वैज्ञानिकों एवं कार्मिकों होलीकोत्सव की शुभकामनाएं दीं और उनके सुखद भविष्य की कामना की।

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