वाराणसी : पुलिस लाइन सभागार में संवाद गोष्ठी, लैंगिक अपराध को लेकर हुई चर्चा
वाराणसी। कमिश्नरेट पुलिस की ओर से गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओ का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध व परितोष) अधिनियम, 2013 आदि विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। थानो, रिजर्व पुलिस लाइन व पुलिस कार्यालय से गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाली महिला आरक्षियो से परिचय प्राप्त किया गया। वहीं आरक्षियों की ओर से किए जा रहे आत्महत्या के संकट को देखते हुए महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 की जानकारी दी। परिस्थितियों से लड़ने के लिए उनका उत्साहवर्धन किया गया।
रिजवाना परवीन मंडलीय सलाहकार यूनीसेफ ने भारत में महिलाओ का अधिकार-एक परिचय देते हुए बताया गया कि लैंगिक उत्पीड़न के परिणामस्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 के अधीन समता तथा संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन प्राण और गरिमा से जीवन व्यतीत करने के किसी महिला के मूल अधिकारों और किसी वृत्ति का व्यवसाय करने या कोई उपजीविका, व्यापार या कारबार करने के अधिकार का, जिसके अंतर्गत लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार है, उल्लघंन होता है। महिला शक्ति राष्ट्र शक्ति है। महिला समाज की मार्ग दर्शक के साथ ही प्रेरणा का स्त्रोत भी है।
अपर पुलिस उपायुक्त ममता रानी ने बताया कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा जैसे चरित्र हनन, बाहर जाने पर पाबंदी, शिक्षा से वंचित रखना, लैंगिक छेड़छाड़, बाल विवाह, औरतों का मीडिया में गलत चित्रण, भूर्ण हत्या, कार्यस्थल पर लैंगिक हिंसा, विधवा उत्पीड़न, जबरन शादी जैसी समस्याएं आज हमारे समाज में बहुतायत से व्याप्त हैं। इन समस्याओं पर हमें आवाज उठाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा। उन्होंने भारतीय दण्ड संहिता में वर्णित कानूनों एवं कार्यस्थल पर महिलाओ का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध व परितोष) अधिनियम, 2013 की जानकारी दी। यदि किसी महिला के स्पष्ट रूप से मना कर दिए जाने के बावजूद बार-बार किसी व्यक्ति की ओर से व्यक्तिगत बातचीत का बढ़ावा देता है या पीछा करता है या 14 सेकेण्ड तक देखता है या फिर सम्पर्क करने का प्रयास करता है, इसे भारतीय दण्ड संहिता में अपराध माना गया है । यदि वह महिला कम्प्लेन्ट करती है तो आईपीसी की धारा 354डी के तहत उस व्यक्ति को दण्डित किया जा सकता है। इस दौरान लगभग 200 महिला आरक्षी उपस्थित रहीं।
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