वाराणसी: पूर्व महंत आवास से बाबा विश्वनाथ की पालकी यात्रा पर रोक, कांग्रेस ने जताया विरोध, गौना कार्यक्रम में शामिल हुए अजय राय
1664 से चली आ रही परंपरा पर लगाई रोक
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि काशी की यह परंपरा सदियों पुरानी है। 1664 से हर साल रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ मां गौरा और पुत्र गजानन के साथ गौना कराते हैं। पहले काठ की पालकी से यात्रा निकलती थी, लेकिन 1890 में स्वर्गीय पंडित रामदत्त त्रिपाठी ने पहली बार रजत सिंहासन पर पालकी यात्रा निकाली। तब से यही परंपरा चली आ रही है।

अजय राय ने सरकार पर परंपरा से खिलवाड़ करने का लगाया आरोप
अजय राय ने कहा, "हम काशीवासी इस परंपरा का निर्वहन हर वर्ष करते हैं। लेकिन भाजपा सरकार काशी की परंपराओं से लगातार छेड़छाड़ कर रही है। पालकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाकर सरकार ने सनातनी परंपरा का अपमान किया है।" उन्होंने इसे काशीवासियों के आस्था और संस्कृति पर प्रहार बताया और सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
काशी में परंपरा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं: अजय राय
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि काशी में गुलाल, शंख, शहनाई और डमरू की गूंज के बीच हर साल यह यात्रा निकाली जाती रही है। बाबा विश्वनाथ के साथ भक्त होली खेलते हैं और इसी के साथ काशी में होली की शुरुआत होती है। लेकिन इस साल प्रशासन ने आयोजकों को नोटिस जारी कर यात्रा पर रोक लगा दी, जो काशीवासियों का अपमान है।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से जवाब देने की मांग
अजय राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल किया कि उनके संसदीय क्षेत्र में यह प्रतिबंध क्यों लगाया गया? उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने तुरंत इस फैसले को वापस नहीं लिया, तो काशीवासी इसका खुलकर विरोध करेंगे। उन्होंने काशीवासियों से अपनी परंपरा को बचाने के लिए एकजुट होने की अपील की।
दर्शन पूजन में शामिल नेताओं में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल, महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, ऋषभ पाण्डेय, सतनाम सिंह, राजीव गौतम, चंचल शर्मा, विश्वनाथ कुँवर, रोहित दुबे, प्रमोद वर्मा, आसिष गुप्ता, धीरज सोनकर, कुँवर यादव, राम सृंगार पटेल, कृष्णा गौड़, रामजी गुप्ता, किशन यादव, विनोद गौड़ सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

