वाराणसी कैंट स्टेशन बना ‘ग्रीन मिशन’ का मॉडल, कचरे को रि-साइकल करेगा रेलवे, खाद भी होगी तैयार

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वाराणसी। कैंट रेलवे स्टेशन पर उत्तर रेलवे द्वारा एक सराहनीय और पर्यावरण अनुकूल पहल की गई है, जिसमें प्रतिदिन स्टेशन पर निकलने वाले 5 से 6 टन कचरे को रिसाइकल कर उपयोगी वस्तुओं में बदला जाएगा। इस प्रयास के तहत 'मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी' (MRF) की स्थापना की गई है, जो न केवल प्लास्टिक कचरे को दोबारा उपयोगी सामग्री में तब्दील करेगा, बल्कि जैविक कचरे से खाद भी तैयार करेगा।

उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक एसएम शर्मा ने बताया कि यह परियोजना एक प्रायोगिक रूप से वाराणसी कैंट स्टेशन पर शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य स्टेशन पर यात्रियों द्वारा फेंके जाने वाले प्लास्टिक कचरे जैसे चिप्स और पापड़ के पैकेट, पानी की बोतलें व अन्य उपयोग के बाद फेंकी जाने वाली सामग्री को रिसाइकल कर दोबारा प्रयोग करने लायक वस्तुओं में बदलना है। इस प्रक्रिया से प्राप्त प्लास्टिक को ग्रीन हाउस, गमले, सजावटी वस्तुएं आदि बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।

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इसके अतिरिक्त, स्टेशन पर निकलने वाले जैविक कचरे से कंपोस्ट खाद भी तैयार की जाएगी, जिसका उपयोग न केवल रेलवे अपने गार्डनों और हरित क्षेत्रों में करेगा, बल्कि इच्छुक किसानों को भी यह खाद उपलब्ध कराई जाएगी। इस प्रकार यह पहल स्वच्छता के साथ-साथ सतत कृषि को भी बढ़ावा देगी।

इस अभिनव प्रयोग की शुरुआत के अवसर पर एक विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें रिसाइकल किए गए कचरे से निर्मित वस्तुओं को आम जनता के सामने प्रस्तुत किया गया। प्रदर्शनी में दर्शकों ने देखा कि कैसे एक बार उपयोग किए जा चुके उत्पादों को नवाचार के माध्यम से पुनर्जीवित कर उपयोगी वस्तुओं का रूप दिया जा सकता है।

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एसएम शर्मा ने आगे बताया कि यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो इसे अन्य रेलवे स्टेशनों पर भी लागू किया जाएगा। इससे न केवल रेलवे परिसरों की सफाई बेहतर होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह पहल 'स्वच्छ भारत मिशन' के तहत रेलवे की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

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