वाराणसी: बरेका ने रेल पटरियों पर सौर पैनल स्थापना कर रचा इतिहास, भारतीय रेलवे के लिए हरित भविष्य की शुरुआत

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 वाराणसी: बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह के नेतृत्व में बरेका ने भारत में पहली बार सक्रिय रेल पटरियों के बीच हटाने योग्य सौर पैनल सिस्टम स्थापित किया। इस नवाचार का विधिवत उद्घाटन श्री नरेश पाल सिंह ने फीता काटकर किया, जिसमें मुख्य विद्युत सर्विस इंजीनियर श्री भारद्वाज चौधरी और उनकी टीम की सराहना की गई।

वाराणसी: बरेका ने रेल पटरियों पर सौर पैनल स्थापना कर रचा इतिहास, भारतीय रेलवे के लिए हरित भविष्य की शुरुआत

भारत में पहली बार रेल पटरियों पर सौर पैनल

बरेका की कार्यशाला की लाइन संख्या 19 पर स्थापित इस पायलट प्रोजेक्ट में स्वदेशी डिज़ाइन के माध्यम से रेल पटरियों के बीच सौर पैनल लगाए गए। यह प्रणाली ट्रेन यातायात को प्रभावित किए बिना कार्य करती है और आवश्यकता पड़ने पर पैनलों को आसानी से हटाने की सुविधा प्रदान करती है। यह परियोजना बरेका के मौजूदा रूफटॉप सोलर पावर प्लांट्स के साथ मिलकर हरित ऊर्जा उत्पादन को और बढ़ावा देगी।

वाराणसी: बरेका ने रेल पटरियों पर सौर पैनल स्थापना कर रचा इतिहास, भारतीय रेलवे के लिए हरित भविष्य की शुरुआत

तकनीकी चुनौतियों पर विजय

इस परियोजना में कई तकनीकी चुनौतियों का सामना किया गया

कंपन से सुरक्षा: ट्रेनों के गुजरने से उत्पन्न कंपन को कम करने के लिए रबर माउंटिंग पैड का उपयोग।

मजबूत फिक्सेशन: पैनलों को एपॉक्सी एडहेसिव के साथ कंक्रीट स्लीपर पर चिपकाया गया, जिससे मजबूत बंधन सुनिश्चित हुआ।

सफाई और रखरखाव: धूल और मलबे से मुक्त रखने के लिए आसान सफाई व्यवस्था।

तेज़ हटाने की सुविधा: रेल पटरियों के रखरखाव के लिए चार स्टेनलेस स्टील एलन बोल्ट के जरिए पैनल हटाए जा सकते हैं।

परियोजना की तकनीकी विशेषताएं

ट्रैक लंबाई: 70 मीटर

क्षमता: 15 किलोवाट पीक (KWp)

पैनल संख्या: 28

पावर डेंसिटी: 220 KWp/किमी

ऊर्जा घनत्व: 880 यूनिट/किमी/दिन

सोलर पैनल विशेषताएं:

आकार: 2278×1133×30 मिमी

वजन: 31.83 किग्रा

मॉड्यूल दक्षता: 21.31%

सेल्स: 144 हाफ कट मोनो क्रिस्टलाइन PERC बाइफेसियल

जंक्शन बॉक्स IP: 68

अधिकतम सिस्टम वोल्टेज: 1500 V

वाराणसी: बरेका ने रेल पटरियों पर सौर पैनल स्थापना कर रचा इतिहास, भारतीय रेलवे के लिए हरित भविष्य की शुरुआत

भविष्य की संभावनाएं

भारतीय रेलवे के 1.2 लाख किमी के विशाल ट्रैक नेटवर्क में इस तकनीक को यार्ड लाइनों पर लागू करने की अपार संभावनाएं हैं। यह परियोजना भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता को समाप्त करती है, क्योंकि यह पटरियों के बीच की उपलब्ध जगह का उपयोग करती है। अनुमानित ऊर्जा उत्पादन 3.21 लाख यूनिट/वर्ष/किमी है, जो भारतीय रेलवे को नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर ले जाएगा।

बरेका की प्रतिबद्धता

महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह ने कहा, "यह परियोजना सौर ऊर्जा के उपयोग का नया आयाम है और भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए हरित ऊर्जा का सशक्त मॉडल बनेगा।" यह नवाचार भारतीय रेलवे के 'ग्रीन ट्रांसपोर्ट' और 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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