वाराणसी : बिहार के किसानों को बताई चावल की खेती की बारीकियां, उन्नत प्रजातियों, बीज उत्पादन तकनीकी की दी जानकारी
वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) और बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) ने 6 से 8 जून तक आइसार्क, वाराणसी में चावल उत्पादन अभ्यास पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण का शनिवार को सफलतापूर्वक समापन हुआ। इसमें बिहार के किसानों को चावल की खेती की बारीकियां बताई गईं। उन्हें उन्नत प्रजातियों व बीज उत्पादन की जानकारी दी गई।
बीएयू के जलवायु तन्यक कृषि (सीआरए) कार्यक्रम का हिस्सा यह पहल बिहार के प्रगतिशील किसानों को एक साथ लेकर आई। उन्हें आधुनिक चावल की खेती के लिए आवश्यक अत्याधुनिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल प्रदान किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और अपनी फसलों के मूल्य में वृद्धि करने की किसानों की क्षमता को बढ़ाना था।
बिहार की जलवायु के अनुकूल चावल की किस्मों, गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन और प्रभावी कृषि योजना के बारे में किसानों के ज्ञान को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया। प्रत्यक्ष बीज वाले चावल (डीएसआर) में खरपतवार, पानी और पोषक तत्व प्रबंधन पर सत्रों के साथ-साथ एकीकृत कीट और रोग प्रबंधन ने प्रतिभागियों को संसाधनों का अनुकूलन करने और उपज को अधिकतम करने की रणनीतियों से लैस किया। समापन व्याख्यान में किसानों को सेवा प्रदाता बनाने के लिए एक परिवर्तनकारी व्यवसाय मॉडल पेश किया गया।
किसानों को छिड़काव, बीज बोने और फसल निगरानी के लिए डीएसआर उपकरण और ड्रोन तकनीक पर व्यावहारिक प्रशिक्षण ने आधुनिक खेती के लिए व्यावहारिक कौशल प्रदान किए। किसानों को आइसार्क प्रयोगशालाओं और फार्म मशीनरी के प्रदर्शन के साथ-साथ सटीक कृषि तकनीकों के प्रदर्शनों ने नवीनतम तकनीकों और प्रथाओं के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई। समापन सत्र को संबोधित करते हुए आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने कहा, "यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को उचित उपज, आय और लाभप्रदता सुनिश्चित करते हुए बदलते जलवायु में पनपने के लिए आवश्यक उपकरणों से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण में भाग लेने के अवसर के लिए अपना आभार व्यक्त किया। अपने अर्जित ज्ञान और कौशल के मूल्य पर प्रकाश डाला। कई लोगों ने कहा कि व्यावहारिक सत्र और आधुनिक तकनीकों से परिचित होने से उनके कृषि कार्यों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिससे वे अधिक टिकाऊ और कुशल पद्धतियों को अपनाने में सक्षम होंगे। इस दौरान किसान नारायण शर्मा ने प्रशिक्षण को सराहा।
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