वाराणसी: BHU और जनजातीय कल्याण विभाग मिलकर मनाएंगे 'जनजातीय गौरव वर्ष 2025'

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वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और जनजातीय कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में भारत की समृद्ध जनजातीय विरासत को सम्मान देने के लिए 'जनजातीय गौरव वर्ष 2025' का आयोजन किया जाएगा। भगवान बिरसा मुंडा की शताब्दी जयंती के उपलक्ष्य में नवंबर 2025 में प्रस्तावित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग भी सक्रिय रूप से भाग लेगा।

समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री असीम अरुण ने सोमवार को BHU में बताया कि इस भव्य सांस्कृतिक आयोजन का उद्देश्य जनजातीय समुदायों के इतिहास, संस्कृति, आजीविका, सशक्तिकरण और नीति-निर्माण में उनकी भागीदारी को नई पहचान दिलाना है। इसमें जनजातीय कलाकार, छात्र, शोधकर्ता, नीति-निर्माता और समाजसेवी बड़ी संख्या में शामिल होंगे।

  वाराणसी: BHU और जनजातीय कल्याण विभाग मिलकर मनाएंगे 'जनजातीय गौरव वर्ष 2025'

कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु

'जनजातीय गौरव वर्ष 2025' में निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:

  • जनजातीय संस्कृति का प्रदर्शन: सांस्कृतिक उत्सवों और प्रदर्शनियों के माध्यम से जनजातीय कला और परंपराओं को बढ़ावा।

  • जनजागरूकता और सामाजिक संवेदनशीलता: समाज में जनजातीय समुदायों के प्रति जागरूकता और सम्मान को प्रोत्साहन।

  • आजीविका के अवसर: जनजातीय समुदायों के लिए नए रोजगार और उद्यमिता के अवसर।

  • युवा सशक्तिकरण: जनजातीय युवाओं को शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सशक्त करना।

  • नीतिगत संवाद और समावेशी विकास: नीति-निर्माण में जनजातीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना।

प्रमुख आयोजन और प्रतियोगिताएं

कार्यक्रम में विविध गतिविधियां और प्रतियोगिताएं शामिल होंगी, जिनमें शामिल हैं:

  • मुख्य आयोजन:

    • सांझी विरासत: राष्ट्रीय जनजातीय सांस्कृतिक उत्सव

    • आदि लखपति दीदी महा सम्मेलन

    • जनजातीय उद्यमिता कॉन्क्लेव

    • आदि परिधान महोत्सव

    • जनजातीय फोटो प्रदर्शनी और लाइव पेंटिंग

    •   वाराणसी: BHU और जनजातीय कल्याण विभाग मिलकर मनाएंगे 'जनजातीय गौरव वर्ष 2025'

  • प्रतियोगिताएं:

    • जनजातीय वाद-विवाद

    • पेंटिंग प्रतियोगिता

    • नृत्य प्रतियोगिता

    • निबंध लेखन

    • जनजातीय गायन प्रतियोगिता

सहयोगी संस्थाएं

इस आयोजन में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण विभाग सहित कई सरकारी एजेंसियां सक्रिय रूप से भाग लेंगी। यह पहल जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और उनके समग्र विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।

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