वाराणसी : कृषि मेला में 7 राज्यों के 9 हजार किसानों ने की भागीदारी, प्रगतिशील किसान हुए सम्मानित
वाराणसी। रोहनियां क्षेत्र के शाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय क्षेत्रीय कृषि मेला सोमवार को सकुशल संपन्न हुआ। इसमें 7 राज्यों के 9 हजार किसानों ने प्रतिभाग किया। वहीं प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि कृषि अनुसंधान व शिक्षा विभाग (डेयर) के पूर्व सचिव डा. पंजाब सिंह रहे।
संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कान्ति बेहेरा ने अतिथियों का स्वागत किया। बताया कि तीन दिनों में यूपी, बिहार, झारखण्ड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, ओड़िसा एवं छत्तीसगढ़ सहित 7 राज्यों से आए 9000 से अधिक किसानों ने भागीदारी की। इसमें महिलाओं की संख्या तीन हजार से ऊपर रही। 6 सत्रों और 80 स्टालों के माध्यम से कृषि की आधुनिकतम विधाओं, फसलों, कृषि तकनीकियों, जैविक खेती और नवीनतम टेक्नोलॉजी पर वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील किसानों ने चर्चा की। किसानों से लिए गए फीडबैक के आधार पर इस मेले को सफलतम माना जा सकता है। विशिष्ट अतिथि कशी हिन्दू विश्विद्यालय में कृषि विज्ञानं संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ शिवराज सिंह ने कृषि अभियांत्रिकी, ड्रोन टेक्नोलॉजी, डेटा माइनिंग, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आदि के माध्यम से युवा किसानों को जोड़ने पर जोर दिया। डा. पंजाब सिंह ने संस्थान की ओर से किसान मेले के आयोजन के लिए आईआईवीआर की प्रशंसा की। कहा कि इतनी बड़ी संख्या में विविध स्टालों और विषय विशेषज्ञों की ओर से अलग अलग प्रदेशों के किसानों, जिनमे महिलाओं की बड़ी अच्छी भागीदारी है।
उन्होंने कहा कि 'किसान नहीं तो इंसान नहीं' और किसानों के माध्यम से ही मानवता को जिंदा रखा जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाए जाने की भी बड़ी आवश्यकता है। इसमें फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की बड़ी भूमिका है। मेले के अंतिम तकनीकी सत्र में कृषि में मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण, उद्यमिता विकास एवं निर्यात विषय पर आयोजित सत्र में इस विषयों पर गहन चर्चा हुई। इस सत्र की अध्यक्षता प्रधान वैज्ञानिक डॉ प्रभाकर मोहन सिंह और सह अध्यक्षता डॉ पीके शुक्ला ने की। एपीडा के आनंद कुमार ने कृषि निर्यात की संभावनाओं एवं इससे जुडी सरकार की नीतियों की चर्चा की। प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एजे गुप्ता ने प्याज एवं लहसुन की उन्नत उत्पादन की तकनीक बताई। प्रगतिशील किसान मोहिनी मोहन मिश्र ने भी अपने अनुभव किसानों के साथ साझा किए। खुद ही अपने खेतों पर ही बीज उत्पादन करते हुए कृषि लागत कम करने हेतु प्रेरित किया।
डॉ नीरज सिंह ने उद्यमिता विकास के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों के बीच आईआईवीआर द्वारा किये जा रहे कार्यों की चर्चा की। मधुबनी के सब्जी उत्पादक किसान राम सुंदर महतो ने किसानों के सम्मान में एक सुंदर गीत प्रस्तुत किया। सत्र का संचालन डॉ केके पांडेय ने किया। मेले में नैनीताल, उत्तराखंड के प्रगतिशील किसान भुवनचंद्र, देवघर, झारखण्ड के प्रमोद वर्मा, केंद्रापाडा, उड़ीसा के सुशांता दास, मधेपुरा, बिहार के शिवशंकर मेहता, सागर, मध्य प्रदेश के कुंदन सिंह लोधी, वाराणसी के बृजेश कुमार एवं कमलेश सिंह, भदोही की महिला किसान मनीषा मौर्या, सुल्तानपुर के राम कीरत मिश्रा एवं मिर्ज़ापुर के नागेश कुमार सिंह सहित 10 प्रगतिशील किसान सम्मानित हुए। इस अवसर पर कृषि प्रदर्शनी में लगे विभिन्न स्टालों को भी पुरस्कार प्रदान किया गया।
आयोजन में आईसीआर संस्थानो की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार राष्ट्रीय आर्किड अनुसंधान केंद्र सिक्किम, द्वीतीय पुरस्कार भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान भारत, कोझीकोड, तृतीय पुरस्कार संयुक्त रूप से भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद एवं भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर तथा सांत्वना पुरस्कार भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली एवं को केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, श्रीनगर को दिया गया अन्य संस्थानों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार आईआरआरआई दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र, वाराणसी, द्वीतीय पुरस्कार आचार्य नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,अयोध्या तथा तृतीय पुरस्कार संयुक्त रूप से काशी राज एफपीओ, वाराणसी एवं एग्रीमित्र एफपीओ, मिर्जापुर को दिया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ अरविंदनाथ सिंह और संचालन डॉ डंगर राम भारद्वाज ने किया।
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