वाराणसी: दुर्गाचरण बालिका विद्यालय के शताब्दी समारोह में दिखेगा नारी शिक्षा की 105 वर्षों की यात्रा का जश्न

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश में नारी शिक्षा की प्रगति में योगदान देने वाली महान विभूतियों में स्वामी रामकृष्ण परमहंस, माँ शारदा, और स्वामी विवेकानंद की शिष्या कृष्णभाबिनी देवी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। 1919 में वाराणसी में उन्होंने नारी शिक्षा विधायिनी सभा की स्थापना की थी, जो बाद में वाणी विद्या भवन और अंततः दुर्गाचरण बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप में विकसित हुआ।

इस वर्ष यह विद्यालय अपनी स्थापना के 105 वर्ष और स्कूल के रूप में 100 वर्षों का सफर पूरा कर रहा है। वाराणसी के सोनारपुरा क्षेत्र के फरीदपुरा में स्थित इस विद्यालय ने मात्र 5 छात्राओं के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी, जो अब करीब 2500 छात्राओं तक पहुँच गई है। यहाँ प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा दी जाती है, जिसमें कक्षा 6 से 12 तक वित्त पोषित हैं, जबकि विज्ञान और वाणिज्य की उच्च माध्यमिक कक्षाएँ मान्यता प्राप्त हैं लेकिन वित्तपोषित नहीं हैं।

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दुर्गाचरण बालिका इंटर कॉलेज, जो पिछले तीन दशकों से पूर्वांचल के दस श्रेष्ठ बालिका विद्यालयों में स्थान बना चुका है, इसने समाज के सीमांत वर्ग की छात्राओं को शिक्षा के मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस शताब्दी समारोह का आयोजन विद्यालय परिसर के कूच बिहार काली बाड़ी के खुले मैदान में 9 से 11 नवम्बर तक किया जाएगा।

समारोह के उद्घाटन सत्र में 9 नवम्बर को मंत्री रविन्द्र जायसवाल, 10 नवम्बर को मुख्य अतिथि के रूप में मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र 'दयालु' और समापन सत्र में 11 नवम्बर को सांसद दर्शना सिंह एवं भारतेन्दु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. रतिशंकर त्रिपाठी उपस्थित रहेंगे। 

इस कार्यक्रम में तीन सत्र होंगे, जिनमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और सम्मान समारोह आयोजित किए जाएंगे। मुख्य आकर्षण के रूप में विदुषी डॉ. सुचरिता गुप्ता, मुंबई की रेणु नागर, और कोलकाता की बिदीप्ता चक्रबर्ती तथा सेन्जूती दास शामिल होंगी।
 

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