BHU में “उत्तिष्ठ भारत” कार्यक्रम, युवाओं में नैतिक जागरुकता और राष्ट्र चेतना का किया संचार
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शताब्दी सभागार में “उत्तिष्ठ भारत : संवाद से समाधान तक” विषय पर एक प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। सेवाज्ञ संस्थानम् काशी महानगर के तत्वावधान में आयोजित इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं में नैतिक मूल्यों, जीवन-दृष्टि और राष्ट्रनिर्माण के प्रति जागरुकता उत्पन्न करना था।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अयोध्या स्थित हनुमत धाम के परमपूज्य स्वामी मिथिलेश नंदिनी शरण महाराज ने अपने उद्बोधन में युवाओं को आत्ममंथन और आत्मविकास की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति का जन्म किसी महान उद्देश्य की पूर्ति हेतु हुआ है। युवा आत्म-मूल्यांकन करें और संशयरहित ह्रदय से राष्ट्रनिर्माण में सहभागी बनें।” स्वामी जी ने आज के समय में आदर्शों के अभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि युवा अपने वास्तविक नायकों को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में अपने माता-पिता, शिक्षक और समाज के कर्मशील लोगों को प्रेरणा स्रोत बनाएं।

उन्होंने कहा, “युवा वही है जो उन कार्यों को पूरा करने का संकल्प रखे जिन्हें पिछली पीढ़ियाँ नहीं कर सकीं।” उन्होंने शिक्षा को केवल जीविकोपार्जन का माध्यम न मानते हुए, उसे चरित्र निर्माण का पथ बताया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और भारत माता, स्वामी विवेकानंद तथा महामना मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुआ। इसके बाद बीएचयू का कुलगीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. धीरेन्द्र राय ने किया।
मुख्य वक्ता के प्रेरक विचारों के पश्चात युवाओं ने उनसे संवाद भी किया। मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा, “परिवार संस्था का विघटन डिप्रेशन का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। प्राइवेसी के नाम पर संबंधों से दूरी नहीं होनी चाहिए।” कार्यक्रम में डॉ. हरेंद्र राय (सदस्य, उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग), प्रो. ए.के. सिंह, शिवम् पाण्डेय (महानगर संयोजक) सहित शहर के शिक्षाविद, विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्य व छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. हरेंद्र राय ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए आगामी “कांची धर्म संसद” की भूमिका पर प्रकाश डाला। यह आयोजन युवाओं के भीतर आत्मबोध, नैतिक दृष्टिकोण और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना जागृत करने में सफल रहा।

