पूर्वजों की विरासत एवं परिवार मिलन कार्यक्रम में पहुंचे त्रिनिदाद एवं टोबैगो के हाई कमिश्नर रोजर राजेश
वाराणसी। विशाल भारत संस्थान द्वारा 8 नवंबर बुधवार को पूर्वजों की विरासत एवं परिवार मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि त्रिनिदाद एवं टोबैगो के हाई कमिश्नर रोजर राजेश गौपाल सुभाष भवन पहुंचे, तो सबसे पहले आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के मंदिर में दर्शन पूजन किया और आरती की। मन्दिर की पुजारी खुशी रमन भारतवंशी ने सुभाष मन्दिर में दर्शन कराया। बाल आजाद हिन्द बटालियन ने मुख्य अतिथि हाई कमिश्नर को सलामी दी। संस्थान की इली भारतवंशी ने हाई कमिश्नर रोजर राजेश का तिलक लगाकर और आरती कर स्वागत किया। विशाल भारत संस्थान के पदाधिकारियों ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।
हाई कमिश्नर सुभाष भवन में रहने वाले आदिवासी बच्चो से मिले, बच्चों ने उन्हें शिव तांडव सुनाया। हाई कमिश्नर परिवार में रहने वाले 40 सदस्यों से मुलाकात कर खुशी जाहिर की। अनाज बैंक को देखा, पूरी कार्य प्रणाली समझी। विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव "श्रीगुरुजी" ने रामनामी दुपट्टा और तिरंगा बैज लगाकर हाई कमिश्नर का सम्मान किया।
अपने सम्मान और विशाल भारत संस्थान की गतिविधियों से अविभूत हाई कमिश्नर रोजर राजेश गोपाल ने कहा कि त्रिनिदाद की संस्कृति भारतीय संस्कृति की तरह है। हमारे पूर्वज यहीं भारत के ही थे। मैं हर साल दीपावली मनाने अयोध्या जाता हूं। सुभाष भवन में रहने वाले परिवार में सभी धर्मों और जातियों के लोग हैं जो बिना किसी भेदभाव के एक साथ रहते हैं। भारत और बाहर के लोगों को इस बड़े परिवार का अनुकरण करना चाहिए। आपसी रिश्तों को मजबूत करने और भावनात्मक सम्बन्धों का यह सबसे बड़ा उदाहरण है। मैं नेताजी सुभाष को बहुत प्यार करता हूं। उनके नाम पर बना सुभाष भवन आज पारिवारिक एकता, मानवीय सम्बन्धों की सबसे बड़ी प्रयोग स्थली है। विश्व का पहला अनाज बैंक भूख पीड़ितों की मदद करके मानवता की सेवा कर रहा है। अनाज बैंक के बारे में मैंने पढ़ा था, आज देखने का अवसर मिला। अनाज बैंक के वितरण प्रणाली और बिना किसी सरकारी मदद से चलने के तरीके से निष्पक्ष रुप से गरीबों तक अनाज पहुंच जाता है। अनाज बैंक बेहतर मॉडल है।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव “श्रीगुरुजी” ने कहा कि जिन भारतीयों को अंग्रेज मजदूर बनाकर त्रिनिदाद एवं टोबैगो ले गए थे, आज उन्हीं के वंशज वहां सरकार में हैं। भारत छोड़ने के बाद भी उनको अपने पूर्वजों की विरासत और संस्कृति याद रही। न ही उन्होंने अपने नाम बदले और न ही तीज त्योहारों को मनाना छोड़ा। त्रिनिदाद और भारत सांस्कृतिक रूप से और पूर्वजों की विरासत से एक है। इसे ही विश्व बंधुत्व कहते हैं।
इस अवसर पर विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. नजमा परवीन, डॉ. मृदुला जायसवाल, नाज़नीन अंसारी, हिन्दू मुस्लिम संवाद केन्द्र की नेशनल कोऑर्डिनेटर आभा भारतवंशी, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, अंकुर तिवारी, ताजीम भारतवंशी, रोजा भारतवंशी, तबरेज भारतवंशी, डॉ. निरंजन श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।
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