आदिवासी पत्ते पहनते हैं, तुम कपड़े क्यों पहनते हो... वाराणसी में जाति प्रमाण पत्र को लेकर हंगामा, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने किया विरोध

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वाराणसी। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा, वाराणसी जिला और महानगर इकाई ने मंगलवार को मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस बैठक में मोर्चा के प्रदेश महामंत्री इ. विद्या भूषण गोंड मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। यह प्रेस वार्ता वाराणसी सदर तहसील में कार्यरत लेखपाल सुमित कुमार पाण्डेय द्वारा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को लेकर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी और रिश्वतखोरी के मामले को उजागर करने के लिए आयोजित की गई।

जाति प्रमाण पत्र नवीनीकरण में रिश्वतखोरी का आरोप

इ. विद्या भूषण गोंड ने बताया कि भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा, वाराणसी जिला के महामंत्री अरुण कुमार गोंड ने जाति प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। इसके बदले में क्षेत्रीय लेखपाल सुमित कुमार पाण्डेय ने कथित रूप से 25,000 रुपये रिश्वत की मांग की। जब रिश्वत नहीं दी गई, तो उन्होंने गलत जांच रिपोर्ट भेजकर प्रमाण पत्र नवीनीकरण के आवेदन को तहसीलदार द्वारा निरस्त करवा दिया।

जब अरुण कुमार गोंड ने इस विषय में लेखपाल से बातचीत की, तो कथित रूप से उन्हें अपमानजनक शब्द कहे गए। लेखपाल ने कहा कि तुम लोगों (गोंड समुदाय) का पहनावा आदिवासियों जैसा नहीं है। क्या तुमने कभी असली आदिवासी देखे हैं? वे पत्ते पहनते हैं और तुम लोग सामान्य लोगों की तरह कपड़े पहनते हो, तो कैसे मान लिया जाए कि तुम आदिवासी हो? तुम सब फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी पा जाते हो और अब 25,000 रुपये खर्च करने में परेशानी हो रही है। जाओ, तुम्हारा प्रमाण पत्र नहीं बनेगा। जिसे शिकायत करनी है, कर लो। मेरा कोई कुछ नहीं कर सकता।

तहसील में रिश्वतखोरी का संगठित गिरोह?

इ. विद्या भूषण गोंड ने यह भी आरोप लगाया कि वाराणसी की तहसीलों में जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए रिश्वतखोरी का एक संगठित गिरोह सक्रिय है। उन्होंने कहा कि पूर्व के तहसीलदारों श्रीमती शलिनी सिंह और योगेंद्र शरण शाह के कार्यकाल में यह नेटवर्क पूरी तरह सक्रिय था और इसमें तहसील सदर के लिपिक मुश्ताक बाबू की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस गिरोह की पकड़ इतनी मजबूत है कि उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशों का भी पालन नहीं किया जाता। कई बार प्रमाण पत्र के लिए आवश्यक दस्तावेज और जांच रिपोर्ट पूरी होने के बावजूद आवेदन महीनों तक लंबित रखे जाते हैं, जब तक कि रिश्वत नहीं दी जाती। यह भ्रष्टाचार आज भी जारी है।

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की नीति पर उठाए सवाल

इ. विद्या भूषण गोंड ने कहा कि वाराणसी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, जहां इस तरह के भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर कार्य कर रही है, लेकिन इस तरह के कर्मचारी शासन व्यवस्था को कलंकित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय के सपने को साकार करने की दिशा में यह एक गंभीर बाधा है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

अन्य आवेदनों की भी जांच की मांग

प्रेस वार्ता में उन 18 आवेदनों की सूची भी दी गई, जिनमें जाति प्रमाण पत्र बनाने में देरी की गई या गलत जांच रिपोर्ट लगाई गई। इ. विद्या भूषण गोंड ने कहा कि इन आवेदनों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और यह देखा जाना चाहिए कि कितने प्रमाण पत्र अब तक जारी किए गए हैं तथा कितने अभी भी लंबित हैं। उन्होंने इस पूरे मामले में तहसील प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाया।

लेखपाल और लिपिक पर कार्रवाई की मांग

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने जिलाधिकारी से मांग किया कि लेखपाल सुमित कुमार पाण्डेय और लिपिक मुश्ताक बाबू को तुरंत निलंबित किया जाए। इनके खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। तहसील में लंबित सभी जाति प्रमाण पत्र आवेदनों की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।

पत्ते पहनकर करेंगे विरोध मार्च

इ. विद्या भूषण गोंड ने कहा कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो बुधवार की सुबह वह स्वयं और मोर्चा के अन्य कार्यकर्ता लेखपाल के कथन के विरोध में प्रतीकात्मक रूप से सामान्य वस्त्र त्याग कर केवल अंतर्वस्त्रों में तहसील से जिलाधिकारी कार्यालय तक पैदल मार्च करेंगे।
 

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