थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया से असहाय व्यक्ति की बचाई जान, सीने में तेज दर्द बना था जानलेवा
ईसीजी जांच की तो पता चला कि हृदय की एक नस ब्लॉक हो गई है। इसको थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया से ही बचाया जा सकता है। थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया शुरू करने से पहले मरीज के साथ आए किसी तीमारदार का सहमति होना जरूरी था। पता चला कि राजेश कुमार के परिवार कोई भी यहाँ नहीं रहता है। वह प्रतिदिन मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। घाट पर ही रात बिताते हैं। घाट पर उन्ही के जानने वाले एक साथी अंशुमन मिश्रा के बारे में जानकारी मिली।
साथी की सहमति तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० संदीप चौधरी और बीएचयू के हृदयरोग विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर धर्मेंद्र जैन की अनुमति से राजेश की थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के अंतर्गत एक इंजेक्शन लगाकर उनकी जान बचाई गई। इस कार्य में दशाश्वमेघ घाट पुलिस चौकी का विशेष सहयोग मिला।
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