काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के तत्वावधान में 1 दिसंबर से 3 दिसंबर तक "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता कदम और मीडिया पर प्रभाव" विषयक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन पत्रकारिता और जन संप्रेषण विभाग में किया गया है।

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अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय असम के कुलपति प्रोफेसर शंभू नाथ सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी चर्चा गूगल के सीईओ सुंदर पिचई से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक कर रहे। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है जो बहुत प्रासंगिक है। बिना संचार तकनीकी के मीडिया के उद्धव का इतिहास लिखना संभव है। जब भी कोई नई तकनीकी का उद्गम होता है, तो लोग बहुत उत्सुकता और हैरानगी के साथ देखते हैं। एआई ए जो है वह आर्टिफिशियल है और नकली चीजें कइ बार हमें ज्यादा डराती हैं। लेकिन हमें इससे डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि समय के साथ नई तकनीकी के हिसाब से खुद के ज्ञान एवं कौशल को अपडेट करना जरूरी है। 

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सिंह ने आगे कहा कि एआई ने ह्यूमन इंटेलिजेंस का एक विकल्प देने का प्रयास किया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि यह मानव मस्तिष्क को ओवरटेक करने की बात कर रहा है। एआई को लोग भस्मासुर से भी तुलना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी की वजह से ही मीडिया की शक्ति पहले से बहुत बड़ी है। हमें एआई से डरने की जरुरत नहीं है, बल्कि क्यों करने की उसके तो तू को सही से समझ कर सही इस्तेमाल करने आवश्यकता है। उन्होंने ने जोर देते हुए कहा कि यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि हम उसका कहीं दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं। 

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उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर विजय कुमार शुक्ला ने की। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि पत्रकारिता विभाग एवं डॉ. बाला लखेंद्र द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर शुरू की गई संगोष्ठी निश्चित ही तकनीकी को समझने के बारे में युवा वर्ग का मार्गदर्शन करेगी। किसी भी तकनीकी के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों होते हैं। जब नई तकनीकी आती है तो उसे अपने में समय लगता है। यह प्रयोग करने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह तकनीकी का उपयोग किस दिशा में कर रहा है।

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इस अवसर पर भारतीय विद्यापीठ नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर एम. एन. होदा बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के योगदान को बुलाया नहीं जा सकता है। कंप्यूटर को आज के डिजिटल युग में यदि आप हजार कंप्यूटर को एक साथ समाहित कर ले तो भी एक उत्कृष्ट मानव मस्तिष्क को प्रतिस्पर्धा नहीं दे सकता है। तकनीकी हमें कंट्रोल करें या हम तकनीकी को कंट्रोल करें यह हम पर निर्भर करता है। 

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विशिष्ट अतिथि के रूप में कला संकाय के माननीय संकाय प्रमुख प्रोफेसर किशोर मिश्रा, संकाय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर मुकुल राज मेहता, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर अनिल कुमार उपाध्याय ने भी समारोह को संबोधित किया। संगोष्ठी में धन्यवाद ज्ञापन पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभागाध्यक्षा डॉ. शोभना नेरलिकर एवं संचालन संगोष्ठी संयोजक डॉ. बाला लखेंद्र ने किया।

इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मास्को विश्वविद्यालय मॉस्को के प्रोफेसर आना ग्लेडकोबा, ओहियो विश्वविद्यालय अमेरिका के प्रोफेसर जतिन श्रीवास्तव, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लिबरल आर्ट्स बांग्लादेश के प्रति कुलपति प्रोफेसर जुडे विलियम, अरुणोदय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के कुलपति प्रोफेसर विश्वनाथ शर्मा, राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के कुलपति प्रोफेसर साकेत कुशवाहा,जानेमन पत्रकार डॉ ध्रुव कुमार, वरिष्ठ प्रोफेसर मनोज दयाल, प्रोफेसर उत्तम कुमार पेगू, प्रोफेसर अभिजीत बोरा, स्वामी विवेकानंद कल्चरल सेंटर श्रीलंका के निदेशक प्रोफेसर अंकुरण दत्त, ग्लोबल सीनियर के कॉरपोरेट अफेयर्स की निदेशक डॉ सुबी चतुर्वेदी आदि भाग ले रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के विविध सत्रों में लगभग 80 से भी ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। शुक्रवार को उद्घाटन सत्र के बाद कई विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर प्रोफेसर अनुराग दवे, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्रा सहित विभाग के शोधार्थियों सहित कई विश्वविद्यालयों के शोध छात्र एवं पत्रकारिता विभाग के सभी छात्र उपस्थित रहे।

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