करपात्र जन्मोत्सव पर दिया गया करपात्र रत्न सम्मान, पीठाधीश्वर ने कहा, अनंत काल तक प्रासंगिक रहेंगे करपात्रि जी के विचार 

vns
WhatsApp Channel Join Now

वाराणसी। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज सनातन धर्म के दैदीप्यमान सूर्य थे, जिसके प्रकाश से समाज सदा सदा तक प्रकाशित होता रहेगा। उक्त उदगार धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ (मणि मंदिर) में 117 वें करपात्र प्राकट्योत्सव के अवसर पर आयोजित करपात्र रत्न समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि धर्मसम्राट के विचार अनंत काल तक प्रासंगिक रहेंगे। जब भी धर्म को लेकर कोई शंका होगी उसका समाधान करपात्रि जी के शास्त्र सम्मत विचारों से ही होगा। 
 vns 
करपात्र रत्न सम्मान समारोह का शुभारंभ आचार्यों एवं बटुकों द्वारा चारों वेदों के मंगलाचरण से हुआ। ऋगवेद का मंगलाचरण रोशन ओझा एवं रोशन पाण्डेय द्वारा यजुर्वेद, आनन्द तिवारी ने सामवेद, प्रेमशंकर एवं राजकुमार तथा अथर्ववेद का पाठ राकेश भट्ट द्वारा किया गया। तत्पश्चात अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं धर्मसम्राट जी के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। मुख्य वक्ता 1008 बपौली धाम ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि स्वामी करपात्रि जी का वैराग्य अत्यंत प्रबल था, जिसके लिए वे कभी भी समझौता नहीं करते थे। वें विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने कहा कि करपात्री जी महाराज के दिए गए दार्शनिक सिद्धांतो को अब मूर्त स्वरूप देने का समय आ गया है, उनके सिद्धांत ही भारत को विश्वगुरु के रूप में पुनर्स्थापित कर पाएंगे। धर्मसंघ आज भी उनके विचारों की पताका को लेकर निरन्तर आगे बढ़ रहा है जो बहुत सराहनीय है।  

समारोह में काशी के विद्वानों ने विचार रखा। मुख्य रूप से प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. उपेंद्र पाण्डेय, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, डॉ. उदयन मिश्र, सतीश चंद्र मिश्र, रामाश्रय शुक्ला, प्रो. विनय पाण्डेय, प्रो. गोपबंधु मिश्र, हरिश्वर दीक्षित, रामनारायण दुबे, रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. कमलेश झा, रामपूजन पाण्डेय आदि ने धर्मसम्राट के कृतित्व पर विचार रखा। स्वागत उद्धबोधन डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, संचालन पण्डित जगजीतन पाण्डेय एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दयानिधि मिश्र ने दिया। 

इन्हें मिला सम्मान
कार्यक्रम में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य डॉ. नरेंद्र नाथ पाण्डेय को अतिप्रतिष्ठित करपात्र रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें एक लाख पच्चीस हजार रुपए का ड्राफ्ट, प्रशस्ति पत्र, श्रीफल एवं दुशाला प्रदान किया गया। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी, 1008 बापौली धाम ब्रह्मचारी, कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी, कथा मर्मज्ञ ब्रजनंदन महराज, पं. जगजीतन पाण्डेय ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। इसके साथ ही करपात्र गौरव सम्मान ज्योतिषाचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल को प्रदान किया गया। उन्हें सम्मान स्वरूप 21 हजार रुपए, प्रशस्ति पत्र, श्रीफल एवं दुशाला प्रदान किया गया।

अखण्ड भंडारे में हजारों भक्तों ने ग्रहण किया प्रसाद
धर्मसंघ में प्राकटय दिवस के अवसर पर प्रातः 8 बजे से अखण्ड भंडारा प्रारंभ हुआ। सबसे पहले दंडी सन्यासियों का भंडारा हुआ। उसके बाद वैदिक आचार्यो एवं बटुकों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके उपरान्त समस्त भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया जो देर रात तक चलता रहा, जिसमे हजारों की संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। करपात्र प्राकट्योत्सव के अवसर पर चल रही सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा का समापन मंगलवार को हुआ।

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story