वाराणसी में गाजे-बाजे के साथ निकली लाटभैरव की प्रसिद्ध नक्कटैया शोभायात्रा, सीता हरण और खर-दूषण वध का मंचन
शोभायात्रा के आगे बाजे-गाजे के साथ सूर्पणखा, खर और दूषण के विशाल पुतले, हाथी, घोड़े, ऊँटों का दल, और तलवार लहराती विभिन्न रूपों में काली के प्रदर्शन ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शोभायात्रा में करीब 85 लाग, विमान, और स्वांग शामिल थे, जिनमें काली तांडव, ताड़का वध, गोवर्धन पूजा, साईं बाबा, और महिषासुर मर्दिनी के प्रदर्शन को विशेष सराहना मिली। 400 साल पुरानी 'बुढ़िया-बुढ़वा' की जोड़ी बच्चों और बड़ों का मुख्य आकर्षण रही।
शोभायात्रा के पूरे मार्ग को विद्युत सजावट से खूबसूरती से सजाया गया था, और रास्ते में दुकानों पर भी आकर्षक सजावट की गई थी। शोभायात्रा के मार्ग पर हर जगह लोग, विशेषकर बच्चे, वृद्ध और महिलाएं, भारी संख्या में उमड़े थे।
परंपरा और मुक्ति का संदेश
रामलीला की इस ऐतिहासिक परंपरा में शूपर्णखा का किरदार इस बार नैना (थर्ड जेंडर) ने निभाया। नैना का मानना है कि इस भूमिका के जरिए उन्हें अपने वर्तमान जन्म से मुक्ति मिलेगी और अगले जन्म में वे एक सामान्य पुरुष या महिला के रूप में पुनर्जन्म लेंगी।
लक्ष्मण ने की सूर्पणखा की नाक काटी, सीता का हरण
रामलीला के 12वें दिन, श्रीराम ने खर-दूषण का वध कर अपने अवतार का उद्देश्य स्पष्ट किया। वहीं, लक्ष्मण द्वारा सूर्पणखा की नाक काटने की घटना ने राक्षसों के विनाश की शुरुआत की। नक्कटैया लीला में सीता हरण, खर-दूषण वध, और रावण-गिद्धराज युद्ध के दृश्य को मंचित किया गया, जो दर्शकों के लिए खास आकर्षण रहे।
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