संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के कौशल केंद्र में मनाया गया शिक्षक दिवस, याद किये गये डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र में शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जीतेन्द्र कुमार ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारतीय संस्कृति के संवाहक और महान दार्शनिक बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन न केवल एक महान शिक्षक थे, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता के गहरे जानकार भी थे। उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न स्थानों पर जाकर भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया और उनका प्रभाव शिक्षा के साथ-साथ राजनीति में भी रहा। डॉ. राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने, और उनके गहन ज्ञान ने संकट की घड़ी में देश को संबल प्रदान किया। जब चीन के साथ युद्ध में हार के बाद नेहरू जी परेशान थे, तब डॉ. राधाकृष्णन ने उन्हें गीता का ज्ञान देकर सांत्वना दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, सूचना एवं ग्रंथालय विज्ञान के प्रोफेसर हीरक कान्त चक्रवर्ती ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि शिक्षक, शिक्षण, और समाज के तीनों स्तंभों में शिक्षक की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। प्रोफेसर चक्रवर्ती ने बताया कि डॉ. राधाकृष्णन एक दार्शनिक, राजनेता, और महान शिक्षाविद् थे, जिनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है।
विशिष्ट अतिथि, शिक्षा शास्त्र विभाग की प्रोफेसर डॉ. विशाखा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक दिवस हमारे गुरुओं को स्मरण और उनके प्रति आभार प्रकट करने का दिन है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय ज्ञान परंपरा और नैतिक मूल्यों को निरंतर आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र की निदेशक, प्रोफेसर विधु द्विवेदी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शिक्षक हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं और हमें अपने दायित्वों को पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन संस्कृत शिक्षक अखिलेश कुमार मिश्र ने किया और धन्यवाद ज्ञापन ज्योतिष के शिक्षक डॉ. संदीप शर्मा ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण से आलोक मिश्रा और पौराणिक मंगलाचरण से सौरभ पांडे ने की। अतिथियों ने डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर डॉ. विनय पाण्डेय, डॉ. कंचन पाठक, विष्णु पेटल, अरुण पांडे सहित विश्वविद्यालय के कई शिक्षक, छात्र-छात्राएं और कर्मचारी उपस्थित रहे।
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