बीएचयू में “ताना-बाना-सर्किल वीव” कार्यशाला सम्पन्न, महिलाओं के कौशल विकास और आत्मनिर्भरता को मिला नया आयाम
वाराणसी। वेल-बीइंग सर्विसेज़ सेल और समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र (CIRD), काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित छह दिवसीय कौशल विकास एवं रचनात्मक क्राफ्ट कार्यशाला “ताना-बाना-सर्किल वीव कार्यशाला” सोमवार को सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गई। 17 से 22 दिसम्बर तक चली इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य महिलाओं में कौशल विकास, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना रहा।

सिलाई केंद्रों से जुड़ी महिलाओं की रही सक्रिय भागीदारी
कार्यशाला में विशेष रूप से उन महिलाओं ने भाग लिया जो सिलाई केंद्रों और आजीविका-उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़ी हुई हैं। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को स्क्रैप कपड़े, ऊन और घरेलू स्तर पर आसानी से उपलब्ध सामग्री के उपयोग से सर्किल वीव तकनीक सिखाई गई। इस तकनीक के माध्यम से महिलाओं ने आकर्षक और उपयोगी हस्तनिर्मित वस्तुएँ तैयार कीं।

रीसाइक्लिंग और आय-उन्मुख रचनात्मकता पर जोर
कार्यशाला के दौरान पुनः उपयोग (री-साइक्लिंग), स्थिरता और आय-उन्मुख रचनात्मकता की भावना को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया गया। प्रतिभागियों ने सीखा कि कैसे बेकार समझी जाने वाली सामग्री से उपयोगी उत्पाद तैयार कर स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है।

कौशल आधारित शिक्षा से आत्मनिर्भरता संभव: डीन
समापन सत्र में बीएचयू के डीन ऑफ स्टूडेंट्स, प्रो. रंजन कुमार सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कौशल-आधारित शिक्षा और रचनात्मक प्रशिक्षण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने महिलाओं को अधिक से अधिक कौशल सीखने और उन्हें आजीविका से जोड़ने के लिए प्रेरित किया।
ग्रामीण विकास केंद्र ने बताया सशक्तिकरण का रास्ता
समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र के समन्वयक डॉ. आलोक कुमार पांडेय ने स्वागत भाषण में कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से अपने सीखे हुए कौशल के माध्यम से स्वरोजगार और आय अर्जन के नए अवसर तलाशने का आह्वान किया। वहीं परियोजना अधिकारी डॉ. भूपेंद्र प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए भविष्य में डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेलफेयर कार्यालय से और अधिक सहयोग की अपेक्षा जताई।

प्रमाण-पत्र वितरण के साथ कार्यशाला का समापन
कार्यक्रम का संचालन बीएचयू के स्टूडेंट काउंसलर नित्यानंद तिवारी के मार्गदर्शन में किया गया। प्रशिक्षण सत्रों में एसआरके खुशी राय, चंदन सिंह, अभिनव पुष्पराज, प्रीति राव और ऋतिकेश यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि सुश्री आरती विश्वकर्मा का भी सक्रिय सहयोग रहा। कार्यशाला की सफल पूर्णता पर सभी महिला प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।
आयोजकों के अनुसार यह कार्यशाला न केवल रचनात्मक आत्मविश्वास और कौशल-आधारित सीख को बढ़ावा देती है, बल्कि भावनात्मक कल्याण और महिलाओं की आजीविका की संभावनाओं को भी मजबूत करती है। यह पहल बीएचयू की सामुदायिक सहभागिता, महिला सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता का सशक्त उदाहरण है।

