चाइनीज़ मांझे के खिलाफ छात्रों का विरोध मार्च, प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग, प्रशासन को दिया 7 दिनों का अल्टीमेटम
सरकार की सख्ती के बावजूद मांझे की बिक्री जारी
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे आशुतोष तिवारी हर्षित ने कहा कि भारत सरकार ने 2017 में ही चाइनीज़ मांझे पर रोक लगा दी थी। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस पर सख्ती बरत रही है, फिर भी प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यह मांझा गली-मोहल्लों और दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रतिबंध के बावजूद यह मांझा यहां तक कैसे पहुंच रहा है और इसके पीछे कौन लोग हैं?
मांझे से जानलेवा घटनाओं पर जताई चिंता
आशुतोष तिवारी ने बताया कि चाइनीज़ मांझे के कारण पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी सहित देशभर में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि यह मांझा छात्रों, राहगीरों और परिजनों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। मांझे से गर्दन कटने की घटनाएं आम हो गई हैं, जिससे लोगों में भय व्याप्त है।
प्रशासन से की सख्त कार्रवाई की मांग
छात्रों ने जिला प्रशासन से अपील किया कि एक सप्ताह के भीतर चाइनीज़ मांझा बेचने वाली सभी दुकानों को सील किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि अब किसी की जान चाइनीज़ मांझे की वजह से जाती है, तो जहां भी यह मांझा पाया जाएगा, उसे आग के हवाले कर दिया जाएगा। छात्रों ने प्रशासन पर इस मामले में ठोस कार्रवाई करने की जिम्मेदारी डालते हुए युवाओं से मांझे का बहिष्कार करने और इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने का आग्रह किया।
विरोध प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सुजल पांडेय, नयन राय, अभिषेक दुबे, सचिन यादव, गौरव, आकाश सिंह, शिवाकांत पांडेय, विशाल चौबे, और ओजस आनंद सहित अन्य छात्रों ने हिस्सा लिया। सभी ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर प्रशासन से शीघ्र समाधान की मांग की।