काशी विद्यापीठ में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर छात्रों का विरोध जारी, सपा एमएलसी ने दिया समर्थन

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वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 2025-26 सत्र के प्रवेश को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार 15वें दिन भी जारी रहा। छात्रों ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी की तस्वीरें लेकर अनोखे अंदाज में विरोध जताया। प्रदर्शन को समर्थन देने समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा भी पहुंचे। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन की नीतियों पर सवाल खड़े किए। साथ ही छात्रों के हित में निर्णय लेने की मांग की। 

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छात्रों की तीन मुख्य मांगें हैं। हाल ही में लागू की गई मेरिट आधारित प्रवेश प्रणाली को वापस लिया जाए और पूर्व की भांति प्रवेश परीक्षा के माध्यम से एडमिशन प्रक्रिया को बहाल किया जाए। पेड सीटों की संख्या को 50 प्रतिशत से घटाकर पुनः 33 प्रतिशत किया जाए। तीसरी, प्रवेश शुल्क में की गई बढ़ोतरी को रद्द करते हुए शुल्क पहले की दर पर ही रखा जाए।

छात्र नेता शिवम यादव ने कहा कि महात्मा गांधी की मंशा के अनुरूप 1921 में स्थापित काशी विद्यापीठ का उद्देश्य था कि गरीब, वंचित और ग्रामीण क्षेत्र के छात्र भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। आज अगर मेरिट के आधार पर एडमिशन होगा, तो ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए यह बाधा बन जाएगा।

पूर्व पुस्तकालय मंत्री आशीष गोस्वामी ने कहा कि विद्यापीठ में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र पूर्वांचल के दूरदराज़ ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। मेरिट आधारित प्रणाली से वे वंचित हो सकते हैं। पेड सीटों की संख्या में बढ़ोतरी से शिक्षा आम छात्रों की पहुंच से बाहर हो जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन के कुलपति एवं कुलसचिव ने छात्रों से वार्ता कर धरना समाप्त करने की अपील की, लेकिन छात्रों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक यह अनिश्चितकालीन धरना चलता रहेगा।

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