श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्री नंदीश्वर उत्सव, नंदी की आराधना से स्थिर रहता है मन, पूरी होती है मनोकामना
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में नित नवीन सनातन नवाचारों की श्रृंखला में बुधवार को पांचवां नंदीश्वर उत्सव मनाया गया। विश्वनाथ मंदिर न्यास के न्यासी वेंकट रमण घनपाठी ने प्रधान आचार्य अर्चक एवं काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखिलेश कुमार मिश्र ने यजमान के रूप में पंचम श्री नंदीश्वर उत्सव समारोह के याजक की भूमिका का निर्वाह करने का पुण्य लाभ प्राप्त किया।
प्रदोष तिथि 5 मई को "प्रथम नंदीश्वर उत्सव", 20 मई को " द्वितीय नंदीश्वर उत्सव ", 4 जून को "तृतीय नंदीश्वर उत्सव", 19 जून को “चतुर्थ नन्दीश्वर उत्सव” के रूप में इस आराधना को भव्य स्वरूप प्रदान करते हुए पर्व के समान व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर उत्सव मनाया गया। तीन जुलाई को एकादश आचार्यों द्वारा संपादित आराधना वृहद स्तर पर महादेव के श्रद्धालुओं की व्यापक सहभागिता के साथ समारोहपूर्वक पंचम "श्री नंदीश्वर उत्सव" आयोजित किया गया।
आयोजन में पूर्व से ही प्रदोष तिथि पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भजन संध्या शिवार्चनम का निरंतर आयोजन प्रत्येक प्रदोष तिथि पर किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने सभी शिवभक्तों को इस विराट उत्सव का साक्षी एवं सहभागी होने के लिए ससम्मान आमंत्रित किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्सव में सम्मिलित हुए। प्रत्येक प्रदोष तिथि पर "श्री नंदीश्वर उत्सव" विराट स्वरूप में निरंतर आयोजित किया जाएगा।
नंदीश्वर पूजा का महत्व हमारे वेदों और शास्त्रों में बहुत ही विशेष बताया गया है। हम जो भी प्रार्थना भगवान से करते है वो नंदीश्वर जी ही भगवान तक पहुंचाते है। इसलिए नंदी भगवान का पंचामृत से रुद्र सूक्त के द्वारा अभिषेक और पूजा करके नंदी भगवान को प्रसन्न किया जाता है। नंदी आराधना से भक्त का मन स्थिर रहता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में प्रथम पूजन नंदी भगवान का करना चाहिए, इस से भगवान शिव भी प्रसन्न होते है।
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