शिव की नगरी काशी में हर्षोल्लास से मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, कान्हा की मूर्तियों को गढ़ने में जुटे हैं शिल्पकार
नटवर की लीलाएं भला किसे नहीं भाती है। कान्हा ने कभी चीरहरण किया तो कभी माखन की चोरी की। ग्वालों को कभी माखन चुरा कर खिलाया तो कभी वंशी की मधुर तान पर गायों ही नहीं पक्षियों को भी लुभाया। गोपियों व राधा संग प्यार की पेंग मारी तो अत्याचारी कंस का वध किया। कमोवेश भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े इन्हीं प्रसंगों पर शिल्पकार कान्हा की विभिन्न मूर्तियों को गढ़ने में जुटे हुए हैं। इनमें राधा-कृष्ण, वंशी लिए कान्हा, कंस का वध, बकासुर वध, पूतना वध, खीरा में बाल कान्हा आदि मूर्तियां है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर घरों-घरों में तैयारियां चल रही हैं। शिल्पकारों के यहां कृष्ण कन्हैया की मूर्तियां गढ़ी जा रही है। शिल्पकारों के यहां मिट्टी की प्रतिमाओं को तैयार कर रंग रोगन कर लिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण को परिधान व आभूषण पहनाने का काम तेजी से चल रहा है। नटखट कान्हा की मूर्तियां भी ऐसी हैं कि हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। मूर्तियों में कहीं बाल गोपाल तो कहीं लड्डू गाीेपाल भी हैं। बाजारों में छोटी प्रतिमाओं के साथ ही बड़ी प्रतिमाएं भी हैं।
जद्दूमंडी लक्सा निवासी शिल्पकार बद्री प्रसाद प्रजापति बताते हैं कि श्रीकृष्ण की छोटी मूर्तियों की डिमांड बनी हुई है। जन्माष्टमी पर कान्हा की मूर्तियों की डिमांड बढ़ गई है। जन्माष्टमी पर घरों में आकर्षक झांकियां सजाने की परम्परा चल रही है। जन्माष्टमी पर उनके यहां मूर्तिंयों को तैयार करने में बद्री प्रसाद प्रजापति के अलावा राजू प्रजापति, अभिषेक प्रजापति, खुशी, रिमझिम व ममता भी जुटी हुई हैं।
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