सावित्री बाई फुले के अवतरण दिवस पर बीएचयू के संबोधि सभागार में सेमिनार का आयोजन
वाराणसी। बुधवार को सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस के अवसर पर, 'सावित्री बाई फुले का संघर्ष व सामाजिक न्याय' विषय पर, सामाजिक विज्ञान संकाय के छात्र-छात्राओं द्वारा संबोधि सभागार, बीएचयू में सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार की शुरुआत विश्वविद्यालय परम्परा के अनुसार महामना मदन मोहन मालवीय व सावित्री बाई फुले के माल्यार्पण, द्वीप प्रजवलन व विश्वविद्यालय कुलगीत के साथ किया गया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अपना वक्तव्य रखा। वक्ताओं में सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन बिंदा डॉ. परांजपे, हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर प्रियंका सोनकर, राजनीति शास्त्र विभाग से असिस्टेंट प्रोफ़ेसर प्रियंका झा व सामाजिक बहिष्करण व समावेशी नीति विभाग से असिस्टेंट प्रोफ़ेसर अमरनाथ पासवान ने अपनी बात रखी।
डॉ. प्रियंका सोनकर ने उस समय के समाज में सावित्री बाई फुले के संघर्ष पर प्रकाश डाला व समझाया कैसे जातिगत व लैंगिक भेदभाव के बावजूद सावित्री बाई फुले ने संघर्ष कर समाज को आगे लाया। उन्होंने ब्राह्मणवादी व्यवस्था का मतलब समझाते हुए बताया कि जातिगत भेदभाव व छुआछूत को मानना या व्यवहार में लाना ही ब्राह्मणवाद है। इससे जाति विशेष का कोई संबंध नहीं है। हर जाति का व्यक्ति जो गैरबराबरी को मानता है, ब्राह्मणवादी हो सकता है।
प्रियंका झा ने वक्तव्य रखते हुए कहा सावित्री बाई फुले के विचारों को शिक्षण संस्थानों में पुनः स्थापित करने की जरूरत है। राजनीतिक विचारों में डिग्निटी और एजेंसी के रूप में सावित्री बाई फुले ने स्थापित किया। नारीवाद की धाराओं और उदारवादी, समाजवादी व रेडिकल विचारों पर भी वक्तव्य रखा।
अंतिम अध्यक्षीय वक्तव्य में संकाय प्रमुख, सामाजिक विज्ञान संकाय, बिंदा डी. परांजपे ने सावित्री फुले के सम्पूर्ण जीवन संघर्षों को बताया। उन्होंने सावित्री बाई फुले को एक गंभीर शोधार्थी, क्रांतिकारी, समाज के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाली महान नायिका बताया।
कार्यक्रम का संचालान आरजू व वैष्णवी ने किया। कार्यक्रम में अकांक्षा ने सावित्री बाई फुले के संघर्षों पर अंग्रेजी में स्वरचित शानदार कविता पढ़ा। श्रेया, विशाल, ऋतिक, विभूम, अनामिका व निकिता सोनकर ने कुलगीत गाया।
कार्यक्रम में हर्षवर्धन, शाहिद, अनुज, गणेश, साकेत, नाजिम, काजल, श्वेता, सोनाली, ऋषिका, जयता, तहरीम, सदफ, शिप्रा, प्रियम, व कई अन्य लगभग 250 लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में मानव उमेश ने सभी वक्ताओं, कार्यक्रम प्रस्तितिकरण के लोगों व आयोजकों को धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
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