’विधि विषयक परिचर्चा, प्रस्तावना एवं निष्कर्ष’’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन

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वाराणसी। लोकबन्धु राजनारायण विधि महाविद्यालय मोतीकोट गंगापुर में मंगलवार को 'विधि विषयक परिचर्चा प्रस्तावना एवं निष्कर्ष’’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ डॉ. केशरी नन्दन शर्मा एवं डॉ. राजू मांझी प्रवक्ता, लॉ स्कूल बीएचयू नेें संयुक्त रूप से मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया।

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इस परिचर्चा में डॉ. केशरी नन्दन शर्मा ने भारतीय दण्ड संहिता के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न अनुउत्तरित प्रश्नों का उत्तर बड़े ही सरल ढंग से उदाहरण के माध्यम से दिया। अधिकार को विधि द्वारा संरक्षित हित बताते हुए इसको सभी विवाद की आधारशिला बताया। इस अवसर पर डॉ. राजू मांझी ने अपने विचारों को व्यक्त करते विधि शिक्षा की उपयोगिता एवं विधि क्षेत्र से उत्पन्न विभिन्न रोजगार के अवसरों से सभी को अवगत कराया तथा विधि के छात्रों को सतत अध्ययन की आदत डालने का मूल मंत्र दिया। उन्होंने आगे बताया कि देने वाले से लेने वाले का अधिकार अधिक होता है। लेने वाला यदि लेने की श्रद्धा में हो तभी देना सफल होगा। यदि राज्य ने व्यक्तियों को अधिकार प्रदान किया है तो उसके संरक्षण की उसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी है।

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महाविद्यालय के संस्थापक निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सभी का आभार व्यक्त किया तथा भारतीय संविधान के संदर्भ में अपने विचारों को व्यक्त करते हुए वर्तमान परिस्थति एवं समय में संविधान के लिए उत्पन्न विभिन्न खतरों से अवगत कराया। उन्होंने राजनीतिक दलों में भी लोकतंत्र की अनिवार्यता पर बल दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अभिषेक सिंह एवं संचालन डॉ. अरविंद कुमार ने किया। इस अवसर पर प्रवक्ता डॉ. नीरज पाठक, आलोक कुमार राय, रेनू, डॉ. सरोज वर्मा, डॉ. विजय वर्मा, करुणामय, डॉ. गोविन्द नारायण श्रीवास्तव तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारी नरेंद्र देव सिंह, सुनीता, शिव प्रकाश पांडेय एवं छात्र छात्राए उपस्थित रहे।

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