वैज्ञानिक अध्ययन: आईआईटी BHU के सिरेमिक इंजीनियरिंग में हुए शोध में मिली जानकारी, ’कांच के उपयोग से बंजर भूमि बनेगी उपजाऊ’
वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित सिरेमिक इंजीनियरिंग विभाग में कांच पर हुए शोध ने ’कृषि परिवर्तन क्रान्ति’ के नए आयामों को दस्तक दी है। इसके अंतर्गत वैज्ञानिक अध्ययन से कांच के अंदर आवश्यक रासायनिक गुण व क्षमता विकसित करने में सफलता मिली है, जिससे न सिर्फ बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है बल्कि खेती योग्य भूमि को ज्यादा बेहतर बनाया जा सकता है।
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए सिरेमिक इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके चतुर्वेदी ने बताया कि सिर्फ भारत देश में कुल भूमि का 29 प्रतिशत भाग बंजर है। दुर्भाग्य से यह भूमि भारत के हर गांव में मौजूद है। इसका मुख्य कारण इस मिट्टी में रासायनिक तत्वों के संतुलन का न होना या कमी होना है। मिट्टी में उन्नीस रासायनिक तत्वों का संघटन होता है। सिरेमिक विभाग में हुए शोध के बाद इनमें से मात्र एक तत्व नाइट्रोजन को छोड़कर बाकी सभी 18 तत्वों को कांच के अंदर नेटवर्क और मैट्रिक्स के जरिये मिश्रण कर मिट्टी में समय के साथ-साथ प्रदान किया जा सकता है। इससे मिट्टी के अंदर जिन तत्वों की कमी है, कांच के द्वारा बने उर्वरक से दशकों से बेकार पड़ी बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाने में मदद की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि ये वैज्ञानिक तरीका बेहद सस्ता, सरल और उपयोगी है। शोध में यह जानकारी भी सामने आयी है कि ऊसर भूमि पर कांच के सिरेमिक उर्वरक के उपयोग का असर उपयोगी साबित होगा, हालांकि इस पर अभी शोध जारी है।
डॉ. आर के चतुर्वेदी ने आगे बताया कि देश के किसान रासायनिक उर्वरकों का उपयोग छोड़कर कांच द्वारा बने सिरेमिक उर्वरकों का उपयोग करेंगे तो किसानों को दो से तीन साल में सिर्फ एक बार सिरेमिक उर्वरकों का उपयोग करना होगा। इससे मृदा का संरक्षण भी किया जा सकेगा। संयुक्त राष्ट्र और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा समय-समय पर प्रकाशित खबरों के अनुसार यदि मृदा क्षरण नहीं रोका गया तो पूरी दुनिया के सामने मृदा संकट गहरा सकता है, जिसके परिणाम विश्व की बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से और भी गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में कांच के बने सिरेमिक उर्वरक मृदा संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने बताया कि कांच से बने सिरेमिक उर्वरक की तकनीक के पेटेंट लेने हेतु कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क कार्यालय, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार में आवेदन प्रक्रियाधीन है।
इनसेटः
किसी भी प्रकार की मिट्टी में मुख्य रूप से निम्न तत्वों का होना आवश्यक होता है, जिनका अनुपात अलग-अलग मात्रा में पाया जाता है- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, आयरन, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, निकेल, कोबाल्ट, आर्गेनिक कार्बन, मोलिब्डेनम, वैनेडियम, क्लोरीन, बोरान एवं सिलिकॉन ।
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