संस्कृत विश्वविद्यालय में धूमधाम से माँ सरस्वती जी का प्राकट्य-उत्सव, कुलपति ने किया पूजा

संस्कृत विश्वविद्यालय में धूमधाम से माँ सरस्वती जी का प्राकट्य-उत्सव, कुलपति ने किया पूजा
WhatsApp Channel Join Now

वाराणसी: सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माँ सरस्वती के प्राकट्य-उत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम से हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने माँ वाग्वदेवी मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए विश्वविद्यालय के उत्थान और राष्ट्र कल्याण की कामना की। उन्होंने कहा, "माँ सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है, और उनकी पूजा करने से व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुद्धि का संचरण होता है। जहाँ माँ सरस्वती विराजमान रहती हैं, वहाँ माँ लक्ष्मी का वास भी होता है।"

इस अवसर पर महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने माँ सरस्वती के अवतरण दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद में वर्णित है कि ब्रह्मा जी के कुंडल से संगीत की देवी का अवतरण हुआ था। यह पूजा विद्यार्थियों के तम को दूर करने और ज्ञान, संगीत, नृत्य कला तथा विवेक के विकास हेतु की जाती है।

न्याय शास्त्र के विद्वान प्रो. रामपूजन पाण्डेय ने माँ सरस्वती जी को विद्या, ज्ञान, शांति और अहिंसा की देवी बताते हुए कहा कि वह मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।पूजन समारोह में वैदिक विद्यार्थियों द्वारा विधिवत मन्त्रोच्चार और मंगलाचरण किया गया। संगीत विभाग के द्वारा भजन संध्या का आयोजन भी किया गया, जिसमें शास्त्रों में वर्णित माँ सरस्वती जी के महात्मा का वर्णन किया गया।

पुजारियों ने माँ वाग्वदेवी का षोडशोपचार विधि से पूजन किया। इस अवसर पर प्रो. रामपूजन पाण्डेय, प्रो. शैलेश कुमार मिश्र, प्रो. महेंद्र पाण्डेय, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, संतोष कुमार दुबे सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारी उपस्थित थे।कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर माँ सरस्वती से विश्वविद्यालय के विकास और राष्ट्र कल्याण की कामना की।

Share this story