बीएचयू में व्याख्यान में भाषा पर चर्चा, वक्ता बोले, संस्कृत सभी भाषाओं की आधार
वाराणसी। बीएचयू स्थित अन्तर-संस्कृतिक अध्ययन केन्द्र एवं मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ। इसमें भाषा पर चर्चा हुई। इसमें वक्ताओं ने संस्कृत भाषा व अन्य पुस्तकों के बारे में विस्तार से विचार रखे।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं वक्ता सीएसडीएस नई दिल्ली की प्रोफेसर अनन्या वाजपेयी ने कहा कि The mordern life of an ancient language नामक अपनी किताब पर कार्य करते हुए मेरे मन में कई प्रश्न उठे, जैसे संस्कृत भाषा कैसे आधुनिक समय की आवश्यकता की पूर्ति करती है, इसकी क्या उपयोगिता हो सकती है, इत्यादि। भारत की सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं पर स्पष्ट रूप से संस्कृत का प्रभाव है। संस्कृत सभी भाषाओं की आधारभूमि है और इसमें हजारों ग्रन्थ उपलब्ध हैं। आश्चर्य यह है कि वर्तमान समय में अपनी मातृभाषा के रूप में बोलने वाले बड़ी संख्या में नहीं है। संस्कृत एक सुव्यवस्थित तरीके से गठित भाषा है, जिसमें कुछ निश्चित व्याकरण सिद्धांत है। इसके निरंतर उपयोग के अभाव में इसे याद रखना या व्यवहार में लाना कठिन है। संस्कृत संगीत की तरह निरंतर रियाज करने वाली भाषा है।
प्रो. बाजपेयी ने भगवदगीता, मेघदूत, कठोपनिषद, बुद्धचरित इत्यादि का उदाहरण दिया। बोलीं, हमारे ग्रंथों में उत्कृष्ट वैचारिक और दार्शनिक विचार मिलते हैं जो संस्कृत भाषा में है। उन्होंने कहा कि 1909 में तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें आती है। पहली गांधी की हिन्द स्वराज, दूसरी विनायक सावरकर की प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और तीसरी श्यामा शास्त्री की कौटिल्य की अर्थशास्त्र। प्रथम दो पुस्तकों ने भारत के बड़े जनमानस को प्रभावित किया। वहीं कौटिल्य का अर्थशास्त्र अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ होने पर भी आधुनिक समय में विद्वानों और बौद्धिक व्यक्तियों को अपने मूल दार्शनिक तत्व के कारण प्रभावित करता रहा। कौटिल्य के अर्थशास्त्र का जवाहरलाल और अमर्त्य सेन ने भी अपने लेखों और पुस्तक में उल्लेख किया है। संस्कृत ग्रंथों में जिन सांस्कृतिक परम्पराओं का उल्लेख मिलता है। वह आधुनिक दृष्टि से परस्पर विरोधी मूल्यों का सृजन करती है। जिन्हें आधुनिक दृष्टि से स्वीकार करना कठिन है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए अन्तर-संस्कृतिक अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो. राजकुमार ने कहा कि ख्यातिलब्ध साहित्यकार एवं कवि कैलाश बाजपेयी की पुत्री प्रो. अनन्या वाजपेयी का हमारे बीच संक्षिप्त सूचना पर आना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि प्रो. अनन्या वाजपेयी जी के विचारोत्तेजक व्याख्यान ने विचार के नए सूत्र हमें दिए। कार्यक्रम में प्रमुख रूप बीएचयू के वरिष्ठ परामर्शदाता प्रो. कमलशील, प्रो. सुधीर चन्द्र, प्रो. अर्चना कुमार, प्रो. गोपबंधु मिश्र, प्रो. पीसी प्रधान, डॉ. गगनप्रीत सिंह, डॉ. प्रभात मिश्र, डॉ. विपिन, डॉ. प्रमोद बागड़े, डॉ. अंजैया, डॉ. राजीव वर्मा, डॉ. धर्मजंग, डॉ. ओमप्रकाश आदि रहे।
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