न्याय की प्रतीक्षा में BHU के छात्र धरने पर, समाजवादी पार्टी ने किया समर्थन, प्रशासन से की यह मांग
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के सामने दो शोधार्थी छात्र कुणाल गुप्ता और करण कुमार बीते छह दिनों से धरने पर बैठे हैं। ये छात्र प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में पीएचडी प्रवेश से संबंधित आरक्षण नीति के कथित उल्लंघन का विरोध कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण का उल्लंघन करते हुए, विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों को ताक पर रखकर उनके प्रवेश को रोक दिया है।

कुणाल (अनुक्रमांक-84891000008) और करण (अनुक्रमांक-848000012) दोनों छात्रों का चयन विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में ओबीसी कोटे के अंतर्गत हुआ था। उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं, लेकिन प्रवेश से ठीक पहले, BHU प्रशासन ने 2012 के पुराने नियमों का हवाला देते हुए उनके प्रवेश को रोक दिया। छात्रों का दावा है कि यह कदम कुछ खास उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के इरादे से उठाया गया है और यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि संविधान प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ भी है।

छात्रों के समर्थन में समाजवादी पार्टी भी खुलकर सामने आई है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश व्यापारी सभा अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल, जो हरिश्चंद्र कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे हैं, धरनास्थल पर पहुंचे और दोनों छात्रों से मुलाकात की। उन्होंने छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से सुना और तत्काल डिप्टी चीफ प्रॉक्टर फतेह बहादुर सिंह से फोन पर बातचीत की। इसके बाद, फतेह बहादुर मौके पर पहुंचे, जहाँ प्रदीप जायसवाल ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपा और छात्रों के प्रवेश की मांग की।

BHU के उक्त विभाग में इस वर्ष पीएचडी के लिए कुल 43 सीटें घोषित की गई थीं, जिन्हें दो श्रेणियों – RET और RET Exempted – में बाँटा गया था। RET में 21 सीटें और RET Exempted में 22 सीटें थीं, जिनमें ओबीसी वर्ग के लिए कुल 12 सीटें आरक्षित की गई थीं (प्रत्येक श्रेणी में 6-6)। RET Exempted श्रेणी में केवल तीन योग्य ओबीसी अभ्यर्थी होने के कारण वहां की तीन सीटें खाली रह गईं। वहीं RET श्रेणी में ओबीसी वर्ग के कई योग्य अभ्यर्थी अब भी बाकी हैं।

UGC के 2025 के निर्देशों के अनुसार, यदि RET Exempted श्रेणी में आरक्षित वर्ग की सीटें खाली रह जाती हैं, तो उन्हें RET श्रेणी में स्थानांतरित कर उसी वर्ग के छात्रों को दिया जाना चाहिए। इस निर्देश के तहत, कुणाल और करण का प्रवेश पूरी तरह से वैध माना जा सकता है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने UGC के नवीनतम दिशानिर्देशों को नज़रअंदाज़ करते हुए 2012 की नीति को लागू किया है। इससे यह प्रतीत होता है कि ओबीसी आरक्षण को निष्प्रभावी करने का एक सुव्यवस्थित प्रयास किया जा रहा है।
प्रदीप जायसवाल ने प्रशासन से मांग किया कि दोनों चयनित छात्रों को तुरंत प्रवेश दिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि छात्रों को न्याय नहीं मिला, तो समाजवादी पार्टी गांधीवादी तरीकों से प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी और ज़रूरत पड़ी तो उच्च न्यायालय का भी दरवाज़ा खटखटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की ज़िम्मेदारी विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन की होगी।

