बीएचयू में “सफ़र रंगों का” कार्यक्रम का आयोजन, क्वीयर समुदाय के मुद्दों पर खुलकर हुई चर्चा
वाराणसी। बनारस क्वीयर प्राइड द्वारा समाज कार्य एवं समाजशास्त्र विभाग, बीएचयू के साथ मिलकर “सफ़र रंगों का : पहचान, कला और संवाद – अभिव्यक्ति के अनेक रंग” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 5 दिसंबर 2025 को संबोधी सभागार, समता भवन, सामाजिक विज्ञान संकाय में किया गया।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य विविध लैंगिक पहचानों, कला-आधारित अभिव्यक्तियों, समुदाय के अनुभवों और समावेशन आधारित संवाद को एक साझा मंच देना था, ताकि विश्वविद्यालय परिसर तथा शहर में सुरक्षित, सम्मानजनक और समावेशी वातावरण को बढ़ावा मिल सके।

मुख्य वक्ताओं ने रखे अपने विचार
कार्यक्रम का आरंभ स्वागत-उद्बोधन से हुआ। इसके बाद मुख्य अतिथियों और विशेषज्ञों ने क्वीयर समुदाय से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर विस्तार से अपने विचार प्रस्तुत किए।
प्रो. संजय ने कहा,
“समाज की प्रगति तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपनी पहचान के साथ सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे। क्वीयर समुदाय की आवाज सुने बिना समावेशन अधूरा है।”
प्रो. श्रद्धा ने कहा,
“हम सबकी जिम्मेदारी है कि ऐसा माहौल बनाएं जहां कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान छुपाने के लिए मजबूर न हो। संवाद ही परिवर्तन का सबसे प्रभावी माध्यम है।”
अनन्या मीठी ने कहा,
“कभी-कभी सबसे कठिन संघर्ष खुद को स्वीकार करना होता है। विश्वविद्यालय को सभी के लिए संवेदनशील और सुरक्षित बनाया जाना चाहिए।”
आर्या ने कहा,
“क्वीयर होने का सफर सिर्फ अपनी जगह पाने का नहीं, बल्कि उन अदृश्य दीवारों को तोड़ने का भी है जिन्हें समाज ने खड़ा कर दिया है। संवाद ही वह पुल है जो अनुभवों और समझ के बीच दूरी कम करता है।”

बनारस क्वीयर प्राइड की ओर से महत्वपूर्ण संदेश
वरिष्ठ साथी मूसा आज़मी ने कहा,
“बीएचयू को महामना की बगिया कहा जाता है, जहां अनेक रंग के फूल हमेशा से रहे हैं। आज इस बगीचे में क्वीयर समुदाय का सतरंगी रंग भी जुड़ गया है। एकरंगी राजनीति के बीच BHU से यह बहुरंगी संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
कई संगठनों की सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम में कई संगठनों और छात्र समूहों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, जिनमें शामिल हैं—
सीनेफाइल, उम्मीद फाउंडेशन, प्रिज्मेटिक फाउंडेशन, दखल, एनएसयूआई, AISA आदि।
स्वयंसेवकों का सराहनीय योगदान
संगोष्ठी की सफलता में बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने योगदान दिया, जिनमें प्रमुख रूप से—
अनामिका, सैम, जानवी, नितिन, तान्या, अभिनव, कृष्ण, टैन, राधा, रूमान, प्रियंका, सुमन, धनंजय, सचिन, सौरभ, आदित्य, वंदना, एड० बाबू अली साबरी, रौशन, नीरज, गौरव पुरोहित सहित सैकड़ों प्रतिभागी विशेष रूप से शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन दीक्षा और आर्या ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन नीति द्वारा प्रस्तुत किया गया।
संगोष्ठी का सार
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वारा बनारस क्वीयर प्राइड ने यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि—
विविधता, संवाद, सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही एक समावेशी समाज की नींव हैं।
हर व्यक्ति की पहचान गरिमामय और सम्मान योग्य है, और समाज में उसकी स्वीकृति आवश्यक है।

