संघ के शताब्दी वर्ष पूरे होने पर आयोजित होंगे विविध कार्यक्रम, आरएसएस ने केंद्र सरकार की बांग्लादेशी हिन्दुओं के सुरक्षा की मांग

पत्रकार वार्ता के दौरान लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र, काशी में डॉ. वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को लेकर प्रतिनिधि सभा ने गहरी चिंता व्यक्त की है। सभा ने बांग्लादेश सरकार से मांग किया है कि वह हिंदू समुदाय पर हो रही हिंसा को तुरंत रोके और उनके धार्मिक व सामाजिक अधिकारों की रक्षा करे। साथ ही, केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि वह कूटनीतिक माध्यमों से बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
प्रतिनिधि सभा ने भारत के हिंदू समाज से भी बांग्लादेशी हिंदुओं के समर्थन में एकजुट होने और उनके साथ मजबूती से खड़े रहने का आह्वान किया। यह प्रस्ताव हिंदू समाज की एकता और उसकी सुरक्षा की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
संघ की शताब्दी वर्ष पर विशेष योजनाएं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी शताब्दी वर्ष यात्रा (2025-26) को भव्य रूप से मनाने की तैयारी कर रहा है। बैठक में संघ की 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा, आगामी योजनाओं और कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा की गई।
संघ ने विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिंदू समाज के निर्माण का संकल्प व्यक्त किया है। संघ का मानना है कि भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपराएं सौहार्दपूर्ण वैश्विक समाज के निर्माण में सहायक हो सकती हैं। इसलिए समाज में समरसता, पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली और राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए संघ अपने प्रयासों को और तेज करेगा।
कर्नाटक की वीर योद्धा रानी अबक्का का होगा सम्मान
संघ ने अपनी बैठक में कर्नाटक की वीरांगना रानी अबक्का के 500वें जन्म वर्ष के उपलक्ष्य में एक विशेष वक्तव्य जारी किया। रानी अबक्का को विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध संघर्ष और देश की रक्षा में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। संघ ने उनके बलिदान और पराक्रम को याद करते हुए राष्ट्रव्यापी स्तर पर उनके योगदान को सम्मान देने की घोषणा की।
काशी प्रांत में तेजी से हो रहा संगठन का विस्तार: वीरेंद्र जायसवाल
क्षेत्र कार्यवाह डॉ. वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि काशी प्रांत में संघ का कार्यक्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में 138 नई शाखाएं स्थापित हुई हैं। जहां 2024 में 2713 शाखाएं थीं, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 2851 शाखाएं हो गई हैं।
इसके अलावा, विद्यार्थी शाखाएं, महाविद्यालयीन शाखाएं, तरुण व्यवसायी शाखाएं, प्रौढ़ शाखाएं और व्यवसायिक शाखाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। संघ की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
महाकुंभ के दौरान संघ ने किए कई सामाजिक सुधार कार्यक्रम
प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान संघ ने सामाजिक सुधार के कई महत्वपूर्ण कार्य किए। इनमें "एक थाली-एक थैला" अभियान के माध्यम से मेला क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने का सफल प्रयास किया गया। इससे प्रतिदिन 3.5 करोड़ रुपये की बचत हुई।
इसके साथ ही नेत्र कुंभ, बौद्ध लामाओं का संगम, वंचित वर्ग से जुड़े संतों का समागम, घुमंतू जातियों के संतों का महासंगम, नेपाल, भूटान और श्रीलंका से आए श्रद्धालुओं का सत्संग जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। वनवासी और आदिवासी समूहों को संघ के सहयोग से कुंभ स्नान कराकर राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया।
सामाजिक समरसता के लिए संघ के प्रयास
संघ ने समाज में व्याप्त विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें काशी के लाजपत नगर में संघ ने 20 परिवारों को घरेलू हिंसा और नशे की लत से मुक्त करने में मदद की। रुदौली (अयोध्या) की शाखा के स्वयंसेवकों ने गांव में सामाजिक समरसता का माहौल बनाने में अहम योगदान दिया। मिर्जापुर के गोड़सर गांव में संघ के कार्यकर्ताओं ने धर्मांतरण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महाकुंभ के दौरान 9745 स्वयंसेवकों ने विभिन्न सेवा कार्यों में योगदान दिया।
संघ के शताब्दी वर्ष के प्रमुख कार्यक्रम
संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रमों की घोषणा की गई। विजयादशमी 2025 से खंड स्तर पर गणवेशधारी स्वयंसेवकों का प्रदर्शन होगा। हर गांव, हर बस्ती संपर्क अभियान चलेगा। जिसके तहत स्वयंसेवक घर-घर जाकर हिंदू समाज से संपर्क करेंगे। फरवरी 2026 तक प्रत्येक गांव और बस्ती में हिंदू समाज को संगठित करने के लिए विशेष सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा।
इसके अलावा जिला स्तर पर बुद्धिजीवियों और समाज के प्रबुद्ध नागरिकों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। युवाओं को संघ से जोड़ने के लिए विशेष आयोजन किए जाएंगे।
बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार: अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हिंसा और अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की। 1951 में बांग्लादेश की हिंदू जनसंख्या 22% थी, जो अब घटकर मात्र 7.95% रह गई है। इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू मंदिरों, मूर्तियों, घरों और व्यवसायों को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू महिलाओं का अपहरण, जबरन धर्मांतरण और अत्याचार बढ़ रहे हैं।
संघ ने भारत सरकार से आग्रह किया कि बांग्लादेश सरकार पर हिंदू समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक दबाव डाला जाए। संघ का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।