देश में पहली बार हुआ भोजपुरी भाषा में रिसर्च, BHU के छात्र धीरज ने बनाया रिकॉर्ड
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के छात्र आए दिन अपने ज्ञान और विद्वान अध्यापकों की वजह से चर्चा में बने रहते है। ऐसे ही चर्चा में इन दिनों काशी हिंदू विश्वविद्यालय के धीरज गुप्ता बने हुए है। धीरज ने कुछ ऐसा किया है जिसे सुन हर उत्तर भारतीय खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। भोजपुरी अध्ययन केंद्र के रिसर्च स्कॉलर धीरज गुप्ता ने पहली बार भोजपुरी में शोध लिखकर रिकॉर्ड बनाया है। तमाम मुश्किलों के बाद धीरज गुप्ता ने भोजपुरी में अपनी सोच पत्र को लिख चर्चा में बने हुए है।

भोजपुरी भाषा को देश में संवैधानिक मान्यता देने की मांग बड़े अरसे से चली आ रही है और इन दिनों भोजपुरी भाषा में आईपीएल (IPL) में हो रही कमेंट्री से भोजपुरी काफ़ी सुर्खियों में बनी हुई है। उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ अन्य राज्यों के साथ कई देशों में बोले जाने वाली भोजपुरी भाषा को बीएचयू के साथ ने बड़ी उपलब्धि दिलाई है। देश में पहली बार बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र में स्कॉलर धीरज गुप्ता ने शोध पत्र लिख कीर्तिमान रचा है। आम तौर पर भोजपुरी अध्ययन केंद्र में स्कॉलर अपने रिसर्च के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा को चुनते है, लेकिन यह पहला मौका है जब भोजपुरी भाषा में शोध पत्र लिखा गया है।

भोजपुरी भाषा में शोध लिखने वाले छात्र धीरज गुप्ता बताते है कि पिछले करीब साढ़े 6 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद भोजपुरी भाषा में "भोजपुरी पत्रकारिता का उद्भव आ विकास एक अध्ययन" विषय पर शोध पत्र लिखा गया है। इसके पीछे उन्होंने बताया कि बीएचयू में रिसर्च के दौरान भोजपुरी अध्ययन केंद्र के तत्कालीन समन्वयक ने छात्रों से कहा कि भोजपुरी अध्ययन केंद्र में क्यों न भोजपुरी में रिसर्च किया जाए। समन्वयक की बात उन्होंने एक चुनौती के रूप में लिया और उसे स्वीकार करते हुए भोजपुरी भाषा में शोध लिखा। भोजपुरी भाषा में सबसे ज्यादा व्याकरण की मुश्किलें आई जिसे तमाम कोशिशों के बाद पूरा किया गया है।

बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी के निर्देशन में धीरज गुप्ता ने इस काम को पूरा किया हैं। प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी ने बताया कि भोजपुरी उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अन्य राज्यों में बोलचाल की भाषा में प्रयोग होती है। यही नही फिजी,मॉरीशस जैसे कई देशों में भी लोग इस भाषा में बात करते है। जब बात मातृ भाषा की होती है तो लोग हिंदी को चुनते है। ऐसे में धीरज के द्वारा भोजपुरी भाषा किया गया रिसर्च सभी के लिए प्रेरणादायक और गौरवांवित करने वाला है।




