महंत चल्ला कृष्णा शास्त्री की स्मृति में काशी में होंगे धार्मिक आयोजन

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वाराणसी। आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रृंगेरी दक्षिणाम्नाय श्री शारदापीठ के प्रति आजीवन अनन्य श्रद्धा रखने वाले महान समाजसेवी एवं संतहृदय महन्त स्वर्गीय चल्ला कृष्णा शास्त्री की पुण्य स्मृति में काशी नगरी में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की एक भव्य श्रृंखला आयोजित की जा रही है। इन आयोजनों के माध्यम से उनके आध्यात्मिक आदर्शों, सेवा भावना और सनातन संस्कृति के प्रति समर्पण को स्मरण किया जाएगा।

महन्त स्व. चल्ला कृष्णा शास्त्री ने अपने संपूर्ण जीवन को ईश्वर भक्ति और पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य के प्रति अटूट निष्ठा के साथ समर्पित किया। वे श्रृंगेरी शंकराचार्य पीठ के प्रति विशेष आस्था रखते थे। 8 जनवरी 2003 को 75 वर्ष की आयु में उन्होंने केदारघाट पर जल समाधि लेकर अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शन और प्रेरणा से श्री चिन्तामणि गणेश मंदिर प्रांगण में जगद्गुरु शंकराचार्य श्रीमद् अभिनव विद्यातीर्थ सभा मण्डप का निर्माण कराया गया, जो वर्ष 2006-07 में पूर्ण हुआ। इस भव्य सभा मण्डप का उद्घाटन 14 नवंबर 2006 को श्रृंगेरी शंकराचार्य मठ के प्रशासक पद्मश्री बीआर गौरीशंकर द्वारा किया गया था।

महन्त जी की इच्छा के अनुरूप उनके पिता स्वर्गीय महन्त चल्ला सुब्बाराव शास्त्री की स्मृति में वर्ष 2011 में एक वेद पाठशाला की स्थापना की गई। वर्तमान में चल्ला सुब्बाराव शास्त्री वेद विद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र में लगभग 40 वेदपाठी शुक्ल यजुर्वेद, सामवेद, कृष्ण यजुर्वेद एवं अथर्ववेद का विधिवत अध्ययन-अध्यापन कर रहे हैं। यह संस्था बनारस में एक आदर्श वेद विद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित हो चुकी है।

इसी क्रम में महन्त पंडित चल्ला कृष्णा शास्त्री जी की पुण्य स्मृति में उनकी सुपुत्रियों नीलमणी शास्त्री एवं लक्ष्मीमणी शास्त्री द्वारा 22 दिसंबर से सोनारपुरा में प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से सायं 5 बजे तक रामकथा का आयोजन किया जाएगा। साथ ही, प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 22 से 28 दिसंबर 2025 तक चिन्तामणि गणेश मंदिर प्रांगण, केदारघाट रोड पर प्रसिद्ध कथा वाचिका द्वारा सप्तदिवसीय संगीतमय “रामचरितमानस” पाठ आयोजित होगा।

कार्यक्रम के समापन पर 28 दिसंबर रविवार को अपराह्न 3 बजे एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो चिन्तामणि गणेश मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होकर सोनारपुरा और भेलूपुर होते हुए पुनः सोनारपुरा पहुंचेगी। आयोजकों ने काशीवासियों से इन आयोजनों में सहभागिता कर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की है।

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